In India, the election is near so I want to present the poetry of the great poet Shambhusharan Sinha:-
कौन रोग लग गया देश को आओ करें विचार।
आजादी तो मिली और
बीते भी वर्ष,
हमने किये उपाय कौन
जिनसे रह सकें सहर्ष,
जीत हुई है कहाँ हमारी
कहाँ हुई है हार,
कौन रोग लग गया देश को आओ करें विचार।
कई बाँध बाँधे भारत ने,
कितने सेतु बनाए
सड़के कितने बानी और
कितने हैं पेड़ लगाए,
गांवों तक बिजली तो पहुची
पर कांटे किसने तार?
कौन रोग लग गया देश को आओ करें विचार।
खेती में तो बढ़े, बड़े
अद्भुत साधन संचार,
किन्तु बढ़ी आबादी, सुरसा
लील गई सुख-सार,
काट दिए जंगल के जंगल
जो थे मंगल-आगार!
कौन रोग लग गया देश को आओ करें विचार।
जितना उलझा देश आज
पहले इतना उलझा था?
रीति-निति में भारत कितना
सादा औ' सुलझा था!
किन्तु, आज बाहर-भीतर से
इस पर अनगनित वार!
कौन रोग लग गया देश को आओ करें विचार।
The poetry saying that how was the and now how is! What developed here and what is rest to do. How much increased here population and how much here unemployment! How much tree are cutted here and how much seeded.
I hope you liked
Regards
@charliechain
Hello, you pick up your delegation because I can't support it properly due to some personal issues.
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