जीवन एक अविश्वसनीय वस्तु है, जो आरंभ से ही मानवता को धोखा दे रहा है। इसके अंदर ढेर सारी चीजें ऐसी उत्पन्न होती है, जिसके ऊपर निर्भर करना मानवीय भूल है, अर्थात एक विवेकशील व्यक्ति की विवेकशीलता, उस पर निर्भर कर निर्भर करने से निषेध करती है। इन्हीं घटनाक्रम के संदर्भ में हम अपने जीवन में कभी सपने एवं ख्यालात की दुनिया में भी घूमते हैं, जो जीवन की तरह अस्थायी हैं अर्थात इसके पास वास्तविक अस्तित्व नहीं है। परंतु निश्चित रूप से प्रत्येक मनुष्य प्रति दिन कोई न कोई अर्थहीन सपना अवश्य देखता है, ठीक इसी प्रकृतिवादीय विधान के अनुसरण करते हुए एक बार की बात है कि, मैं गंभीर रूप से ड्रावना यानी भयानक सपना देखा जिसमें यह था कि हम किसी घने जंगल से गुजर रहे थे। के उसी संदर्भ में एक घटना ऐसा घटा कि हमें कोई खतरनाक जानवर पीछे से दौड़ा रहा है और हम अपनी प्राण को हाथ में लिये दौड़े जा रहे हैं इस मंशा से कि कहीं हमें अपने प्राण की आहुति अनुचित रूप से ना देनी पड़ जाए मैं जंगल में बहुत देर तक अपने प्राण की हिफाजत और बचाव करते हुए पसीना पसीना हो गया अंततः इस निष्कर्ष पर पहुंचे यह सारा घटना एक सपना था जो हमें खामखा जिंदगी की वास्तविकता से दूर ले जाकर ऐसे ही भटका रहा था। इस घटना से हमें यह पाठ मिलता है कि जिस तरह से जिंदगी एक अविश्वसनीय वस्तु है, ठीक उसी प्रकार से सपना भी एक व विश्वसनीय वस्तु है जिस पर या जिसकी वास्तविकता पर निर्भर करके जीवन जीना असंभव है।
अतः आवश्यकता इस बात की है कि हमारे जीवन में जो भी अर्थहीन सपना आये,उसे नकारने दें। उस पर तनिक भर भी विश्वास न करें!
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