विश्व का प्रत्येक धर्म अपने मानने वालों को दुनिया की हर कौम के साथ अच्छा व्यवहार करने का आदेश दिया है। और अंतिम संदेश हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने और आपके सहाबा यानी साथियों ने दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार और बर्ताव करके या सिद्ध भी क्या है।अर्थात व्यवहारिक तौर पर करके भी दिखाया है। जैसे जंग बदर में काफिरों के साथ अच्छा बर्ताव किया और उन्हें छोड़ दिया। जो लोग इस्लाम के विरुद्ध षड्यंत्र रचते हैं, उनका यथार्थाता से कोई संबंध एवं वास्ता नहीं है। इस्लामी इतिहास में यह वाक्य दर्ज है कि जब मक्का में अकाल पड़ गया तो नबी रहमत सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम मक्का वासियों के लिए माल भेजा ताकि मक्का के जरूरतमंदों के बीच में उस माल को बांट दिया जाए जबकि मक्खी जीवन में आपका और आपके सहाबा का रहना दूभर कर दिया था लेकिन आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने अपने और अपने साथियों की कठिनाइयों को भूल कर मानवता के नाते अकाल ग्रस्त मक्का वासियों की भरपूर सहायता की इसी तरह के वाकयात से इस्लाम का इतिहास भरा पड़ा है। हजरत उस्मा बिन्त अबू बकर सवायं बयान करती है कि कुरैश से संधि के बाद मेरी मां मुझसे मिलने के लिए आई वह मुशरिक थी मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम से पूछा अल्लाह के रसूल मेरी मां मुझसे मुलाकत करने आई है क्या मैं उससे मिल सकती हूं? आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने कहा हां अपनी मां से अवश्य मिलो। इसी तरह से आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम यहूदियों ईसाईयों और काफिरों से अपना संबंध रखते थे, उनका मान सम्मान करते थे, उनके साथ अच्छा बर्ताव करते थे। जैसा कि यामामा का गवर्नर सुमामा बिन ओसाला गिरफ्तार करके लाया गया और मस्जिद नबवी में बांध दिया गया जो आप के विरुद्ध बुरा-भला कहता था उसने यह भी कहा था कि इस दुनिया में सबसे दुष्ट कोई है तो वह मुहम्मद है। फिर भी आपने उसके साथ अत्याचार नहीं किया और उन्हें छोड़ दिया। यहूदियों के साथ भी उनका बर्ताव इसी प्रकार था। हजरत आयशा रजि अल्लाह हू अनहा बयान करती है कि रसूल के पास कुछ यहूदी आए और कहा السام عليكم आप पर मृत्यु हो। मैं उनका यह शब्द समझा गई और कहा: عليكم السلام ولعنته तुम पर भी मृत्यु व शाफ हो। नबी सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने फरमाया:لايهلا يا عائشه فان الله يحب الرفق في الأمر كلهआयशा रुक जाओ और विनम्रता अपना क्योंकि अल्लाह हर काम में विनम्रता को पसंद करता है।आयशा ने कहा अल्लाह के रसूल आपने सुना नहीं उन्होंने क्या कहा है। आप सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने कहा तुमने नहीं सुना عليكم का कर उनकी बात को उन्हीं पर लौटा दिया।इस हदीस का तात्पर्य यह है कि नबी सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम यहूदियों से अच्छा बर्ताव करते थे।बुखारी में है कि जब आप का निधन हुआ उस समय आपकी जीरह एक यहूदी के यहां गिरवी रखी हुई थी, आपने उससे अपने घर का खर्च चलाने के लिए कर्ज ले रखा था। इससे पता चला की आप यहूदियों से कर्ज भी लेते थे। इस्लामी इतिहास में यह हुआ कि प्रसिद्ध है।"अनस बिन मालिक रोजी अल्लाहू अन्हू से मर भी है कहते हैं कि एक गवार आया और मस्जिद के कोने में पेशाब करना आरंभ कर दिया,जब सहाबा इकराम उन्हें रोकने लगे तो आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने उन्हें मना किया जब वह पेशाब कर लिया तो नबी रहमत सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने उसमें पानी बहाने को कहा और उस देहाती को समझा-बुझाकर छोड़ दिया किसी प्रकार की कोई प्रताड़ना नहीं की। इन सब वाक्यात से हमें प्रेरणा मिलती है कि दूसरों से लेनदेन करना उनके साथ अच्छा व्यवहार करना इस्लामी शिक्षाओं के विरोध नहीं है। इसी प्रकार आप के साथियों के जीवन में भी ऐसे कई उदाहरण उपस्थित है जिनसे पता चलता है कि एक दूसरे की सहायता करना इस्लाम और मुसलमानों की उदारता और उनकी पहचान रही है। अंतिम में अल्लाह ताला से प्रार्थना है कि अल्लाह ताला हमें एक दूसरे से अच्छा व्यवहार करने की शक्ति प्रदान करें।
इस्लाम ने अपने मानने वालों को दुनिया की हर कौम के साथ अच्छा व्यवहार करने का आदेश दिया है। और अंतिम संदेश हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने और आपके सहाबा यानी साथियों ने दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार और बर्ताव करके या सिद्ध भी क्या है।अर्थात व्यवहारिक तौर पर करके भी दिखाया है। जैसे जंग बदर में काफिरों के साथ अच्छा बर्ताव किया और उन्हें छोड़ दिया। जो लोग इस्लाम के विरुद्ध षड्यंत्र रचते हैं, उनका यथार्थाता से कोई संबंध एवं वास्ता नहीं है। इस्लामी इतिहास में यह वाक्य दर्ज है कि जब मक्का में अकाल पड़ गया तो नबी रहमत सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम मक्का वासियों के लिए माल भेजा ताकि मक्का के जरूरतमंदों के बीच में उस माल को बांट दिया जाए जबकि मक्खी जीवन में आपका और आपके सहाबा का रहना दूभर कर दिया था लेकिन आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने अपने और अपने साथियों की कठिनाइयों को भूल कर मानवता के नाते अकाल ग्रस्त मक्का वासियों की भरपूर सहायता की इसी तरह के वाकयात से इस्लाम का इतिहास भरा पड़ा है। हजरत उस्मा बिन्त अबू बकर सवायं बयान करती है कि कुरैश से संधि के बाद मेरी मां मुझसे मिलने के लिए आई वह मुशरिक थी मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम से पूछा अल्लाह के रसूल मेरी मां मुझसे मुलाकत करने आई है क्या मैं उससे मिल सकती हूं? आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने कहा हां अपनी मां से अवश्य मिलो। इसी तरह से आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम यहूदियों ईसाईयों और काफिरों से अपना संबंध रखते थे, उनका मान सम्मान करते थे, उनके साथ अच्छा बर्ताव करते थे। जैसा कि यामामा का गवर्नर सुमामा बिन ओसाला गिरफ्तार करके लाया गया और मस्जिद नबवी में बांध दिया गया जो आप के विरुद्ध बुरा-भला कहता था उसने यह भी कहा था कि इस दुनिया में सबसे दुष्ट कोई है तो वह मुहम्मद है। फिर भी आपने उसके साथ अत्याचार नहीं किया और उन्हें छोड़ दिया। यहूदियों के साथ भी उनका बर्ताव इसी प्रकार था। हजरत आयशा रजि अल्लाह हू अनहा बयान करती है कि रसूल के पास कुछ यहूदी आए और कहा السام عليكم आप पर मृत्यु हो। मैं उनका यह शब्द समझा गई और कहा: عليكم السلام ولعنته तुम पर भी मृत्यु व शाफ हो। नबी सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने फरमाया:لايهلا يا عائشه فان الله يحب الرفق في الأمر كلهआयशा रुक जाओ और विनम्रता अपना क्योंकि अल्लाह हर काम में विनम्रता को पसंद करता है।आयशा ने कहा अल्लाह के रसूल आपने सुना नहीं उन्होंने क्या कहा है। आप सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने कहा तुमने नहीं सुना عليكم का कर उनकी बात को उन्हीं पर लौटा दिया।इस हदीस का तात्पर्य यह है कि नबी सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम यहूदियों से अच्छा बर्ताव करते थे।बुखारी में है कि जब आप का निधन हुआ उस समय आपकी जीरह एक यहूदी के यहां गिरवी रखी हुई थी, आपने उससे अपने घर का खर्च चलाने के लिए कर्ज ले रखा था। इससे पता चला की आप यहूदियों से कर्ज भी लेते थे। इस्लामी इतिहास में यह हुआ कि प्रसिद्ध है।"अनस बिन मालिक रोजी अल्लाहू अन्हू से मर भी है कहते हैं कि एक गवार आया और मस्जिद के कोने में पेशाब करना आरंभ कर दिया,जब सहाबा इकराम उन्हें रोकने लगे तो आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने उन्हें मना किया जब वह पेशाब कर लिया तो नबी रहमत सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने उसमें पानी बहाने को कहा और उस देहाती को समझा-बुझाकर छोड़ दिया किसी प्रकार की कोई प्रताड़ना नहीं की। इन सब वाक्यात से हमें प्रेरणा मिलती है कि दूसरों से लेनदेन करना उनके साथ अच्छा व्यवहार करना इस्लामी शिक्षाओं के विरोध नहीं है। इसी प्रकार आप के साथियों के जीवन में भी ऐसे कई उदाहरण उपस्थित है जिनसे पता चलता है कि एक दूसरे की सहायता करना इस्लाम और मुसलमानों की उदारता और उनकी पहचान रही है। अंतिम में अल्लाह ताला से प्रार्थना है कि अल्लाह ताला हमें एक दूसरे से अच्छा व्यवहार करने की शक्ति प्रदान करें।
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