Urdu
سنیں بابا۔۔۔!!
چھما کردیں..!
نظر انداز فرما دیں..!
ہمیں معلوم ہے کہ ہم
وہ مجرم ہیں جنھیں معافی
طلب کرنے کا حق حاصل نہیں لیکن!
چھما کردیں..!
نظر انداز فرمانے کے ہم قابل نہیں لیکن!
نظر انداز فرما دیں..!
ہاں! ہم خاموش رہ کر جرم کو آواز دے بیٹھے
اور مجرم کے پر کو جرم کی پرواز دے بیٹھے
اور پھر اُن خبیثوں نے
جریموں نے
کمینوں نے
تیرے دَستِ مبارک سے
لکھے دستور جلوائے
ہاں! جلوائے
بدلوائے
اور ہم کچھ نہ کر پائے
مگر بابا۔۔!!
ہمارے جرم کے سِکِّے
کا یہ تو دوسرا رُخ ہے
کہ ہم خاموش مجرم ہیں
مگر دراصل اُس سِکِّے
کا پہلا رُخ کچھ ایسا تھا
کہ ہم آئینِ بھارت کے
اور دَستُورِ جنت کے
تحفظ کے لیے آواز اُٹھَّائے
ہاں! اُٹھَّائے
گلی کوچوں میں جمہوری عَلَم لہرائے پھہرائے
بھُلا کر مذہب و مسلک
محض وحدت کی دُھن گائے
حکومت کے سر اوپر اَنگِنَت بجلی بھی کَڑکائے
اور قدموں تلے پھیلی ہوئی مٹّی بھی دَھڑکائے
مگر آخر
ہماری بے بسی نے ہم کو دے مارا
اور ہم دیکھتے ہی رہ گئے خوں خوار نَظَّارا
کہ اِس ظالم حکومت نے
اور اندھی عدالت نے
بری گندی سیاست میں
اور ملکی خباثت نے
اٹھائے مذہبی مَاچِس
نکالے مَسلکی تِیلی
لگائے نفرتوں کے گھی
اور پھر بے دَرِیغِی سے
اک اک جمہوری دفعہ کو
وطن کے بھائی چارہ کو
اور سونے کی چڑیا کو
محبت کے ستارہ کو
جلا ڈالا
مٹا ڈالا
کچل ڈالا
بدل ڈالا
اور اس طرح بھارت کو
اور دَھرتی کی جنت کو
بڑی بے درد دوزخ نے
نگل ڈالا۔
سنیں بابا۔۔۔!!
ہمارے دل، پشیماں ہیں
ہمیں بابا۔۔۔!!
چھما کر دیں
چھما کر دیں
چھما کر دیں!!!
Hindi
सुनें बाबा,,,!!
क्षमा कर दें!
नज़रअंदाज़ फ़रमा दें!
हमें म़ालूम है कि हम
वह मुजरिम हैं जिन्हें म़ाफ़ी
त़लब करने का ह़क़ ह़ास़िल नहीं लेकिन!
क्षमा कर दें!
नज़रअंदाज़ फ़रमाने के हम क़ाबिल नहीं लेकिन
नज़रअंदाज़ फ़रमा दें!
हां, हम ख़ामूश रहकर जुर्म को आवाज़ दे बैठे
और मुजरिम के पर को जुर्म की परवाज़ दे बैठे
और फिर उन ख़बीस़ूं ने
जरीमूं ने
कमीनूं ने
तेरे दस्त-ए-मुबारक से
लिखे दस्तूर जलवाए
हां, जलवाए
बदलवाए
और हम कुछ न कर पाए
मगर बाबा
हमारे जुर्म के सिक्के
का यह तो दूसरा रुख़ है
कि हम ख़ामूश मुजरिम हैं
मगर दरअस़्ल इस सिक्के
का पहला रूख़ कुछ ऐसा था
कि हम आईन-ए-भारत के
और दस्तूर-ए-जन्नत के
तह़फ़्फु़ज के लिए आवाज़ उठ्ठाए
हां, उठ्ठाए
गली कोचूं में जम्हूरि अ़लम लहराए फ़हराए
भुलाकर मजहब-ओ-मस्लक
मह़ज़ वह़दत की धुन गाए
हुकूमत के सर ऊपर अनगिनत बिजली भी कड़काए
और क़दमों तले फैली हुई मिट्टी भी धड़काए
मगर आख़िर!
हमारी बेबसी ने हमको दे मारा
और हम देखते ही रह गए ख़ूंख़वार नज़्ज़ारा
कि इस ज़ालिम हु़कू़मत ने
और अंधी अ़दालत ने
बुरी गंदी सियासत ने
और मुलकी ख़बास़त ने
उठाए मज़हबी माचिस
निकाले मसलकी तीली
लगाए नफरतों के घी
और फिर बे दरेग़ी से
एक एक जम्हूरी दफ़ा को
वत़न के भाईचारा को
और सोने की चिड़िया को
मोह़ब्बत के सितारा को
जला डाला
मिटा डाला
कुचल डाला
बदल डाला
और इस त़रह़ भारत को
और धरती की जन्नत को
बड़ी बेदर्द दोज़ख़ ने
निगल डाला।
सुने बाबा,,,!
हमारे दिल पशेमां हैं
हमें बाबा,,,!
क्षमा कर दें
क्षमा कर दें
क्षमा कर दें।।।
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