زندگی کا مزاج

in urdu •  last year 

السلام علیکم میرے پیارے ساتھیو اور دوستو
میرے بلاغ میں آپ سبھی حضرات کا دل و جان سے خیر مقدم ہے
امید کرتا ہوں کہ آپ سب خیر و عافیت سے ہوں گے
تو آئیے بلا کسی تاخیر شروع کرتے ہیں آج کے ٹاپک (موضوع) کو:


20230210_214843.jpg

جمال ندولوی (ولادت 1944 ) بن محمد نہال الدین مرحوم نثر نگاری اور شاعری دونوں سے جڑے رہے ہیں، لکھتے اور چھپتے رہے ہیں، شاعری میں انہں متین عمادی، جماد الدین ساحل اور قوس صدیقی سے شرف تلمذ رہا ہے، قوس صدیقی کے شاگرد ہونے کے با وجود جمال ندولوی کے یہاں ساختیات اور تشکیلیات کے قبیل کے الفاظ نہیں پائے جاتے ، وہ اپنے فکر وخیال کو اشعار میں ڈھالنے کے لیے روز مرہ کے مستعمل الفاظ کا استعمال کرتے ہیں، جن سے معنی کی ترسیل کا کام بہتر اور عمدہ انداز میں ہوتا ہے۔
”زندگی کا مزاج“ ان کا دوسرا مجموعۂ کلام ہے، اس کے قبل 2015ءمیں ان کا پہلا مجموعہ کلام ”کشکول صدا“ کے نام سے آیا تھا، اس دوسرے مجموعہ کا نام ”زندگی کا مزاج“ غیر ادبی اور غیر شاعرانہ ہے، اس میں جاذبیت اور کشش نہیں ہے، اس کا نام رقص حیات، عکس خیال وغیرہ ہوتا تو قارئین کی توجہ زیادہ مبذول ہوتی، لیکن اب تو جمال ندولوی صاحب دنیا سے رخصت ہو چکے ، اسے کون بدلے گا۔
جمال ندولوی کی شاعری پر ان کے استاذ متین عمادی نے لکھا ہے:
”میں یہ نہیں کہتا کہ جمال ندولوی کا طرز سخن لا جواب ہے اور نہ یہ کہتا کہ ان کی شاعری بہت اعلیٰ درجہ کی ہے…. یہ بھی نہیں کہ ان کی شاعری کو بالکل نظر انداز کر دیا جائے۔ (کشکول صدا4-5)
متین عمادی نے دوسرے مجموعہ کے زیادہ خوبصورت زیر اثر اور تخیلات کے دامن کے مزید وسیع ہونے کی توقع کا اظہار کیا تھا، اب ان کا یہ دوسرا مجموعہ طباعت کے مرحلہ میں ہے، جس کے لیے ان کے بڑے صاحبزادے نیر اعظم مدیر ومالک ہفتہ وار اخبار ”آئینہ جمال“ کو شاں ہیں، اللہ کرے اشاعت کے مراحل جلد طے ہوجائیں۔
”زندگی کے مزاج“ میں حمد ، نعت، غزل، قطعہ، رخصتی نامہ، جمہوریت، آزادی، وطن سے محبت، متین عمادی اور جمیل مظہری کی شاعری پر نظمیں شامل ہیں، میرے سامنے جو مسودہ ہے اس میں غزل اور نظم کے حصوں کو الگ الگ نہیں کیا گیا ہے، کہیں نظم کے بعد غزل ہے اور کہیں غزل کے بعد نظم، چوں کہ کتاب طباعت کے مرحلے سے ابھی نہیں گذری ہے، اس لیے اس کی اصلاح کی جا سکتی ہے۔

بارے میں ایک مو ¿من کا جو خیال ہونا چاہیے اس کی جلوہ گری حمد ونعت میں پائی جا رہی ہے، نعت کے بارے میں یہ بات قابل ذکر ہے کہ جمال ندولوی نے اسے مناجات ہونے سے بچالیا ہے، ورنہ عموما شعرائ کے یہاں نعت کی ڈور مناجات سے مل جاتی ہے اور عقیدت ومحبت میں اس باریک فرق کو ملحوظ خاطر نہیں رکھا جا تا اور عبد ومعبود کا فرق جاتا رہتا ہے، جمال ندولوی نے اس فرق کو ملحوظ رکھ کر اچھی مثال قائم کی ہے۔
مجموعہ کی غزلیات میں بہت سارے اچھے اشعار ہیں، جن میں مذہبی افکار ، عصری حسیت ، عشق ومحبت کی داستان سبھی کچھ موجود ہے، اسلام میں عمل کا مدار نیتوں پر ہے، خلوص عمل کے مقبول ہونے اور ریا عمل کے مردود ہونے کا سبب بنتا ہے، جمال نے اس حقیقت کو غزل کے ایک شعر میں بیان کیا
خلوص دل ہو گر شامل عمل مقبول ہوتا ہے
ریا کا جس پر غلبہ ہو عمل بے کار جاتا ہے
اسی غزل میں حقیقت پر مبنی یہ شعر بھی پڑھ لیجئے:
مسلسل ایک حالت پر کبھی رہتی نہیں دنیا
ہمیشہ جیتنے والا بھی اک دن ہار جاتا ہے
ہندوستان کے موجودہ حالت کی عکاسی اسی غزل کے ایک اور شعر میں ملتی ہے۔
کسی کی جھوٹی سچی سب دلیلیں رنگ لاتی ہیں
ہمارا خون بھی بہہ جائے تو بے کار جاتا ہے
جس غزل سے اس مجموعہ کا نام مقرر کیا گیا ہے، اس کے چند اشعار قلب وذہن کو اپنی طرف کھینچتے ہیں اور اس حقیقت کو واشگاف کرتے ہیں کہ اب دوست بھی قابل اعتماد نہیں رہے، اس دور میں جب دوست ہی گھر سے بلا کر دوست کو قتل کر دیتے ہیں، جمال ندولوی کے اس شعر کی سچائی کو ہم نظر انداز نہیں کر سکتے۔
سارے چہرے لہو لہان ملے
کتنا زخمی ہے دوستی کا مزاج
جمال کہتے ہیں کہ حالات جیسے بھی ہوں، ہم تو مو من ہیں اور مومن کا مزاج بندگی کا ہوتا ہے اور وہ بھی صرف خدا کی بندگی کا اس لیے اس کا سر کہیں دوسری جگہ جھک ہی نہیں سکتا۔(بقیہ صفحہ ۴۱پر)
میں کہیں سر جھکا نہیں سکتا
دل میں رکھتے ہیں بندگی کا مزاج
بندگی کا یہ مزاج ہمیں آخرت سے قریب کرتا ہے اور اس احساس کو تقویت پہونچاتا ہے کہ مرنے کے بعد سب کچھ یہیں رہ جائے گا اور بندہ اللہ کے یہاں خالی ہاتھ ہی جائے گا۔
آخر وہ خالی ہاتھ گیا دیکھ لو جمال
حاصل کیا تھا اس کے جو سامان رہ گیا
جمال ندولوی کے یہاں بعض ترکیبیں بہت خوبصورت انداز میں شعر میں ڈھل گئی ہیں، خوشیوں کی جاگیریں اور غم کی سلطانی کو ایک ہی شعر میں دیکھیے اور اس ادبی صنعت کی بر جستگی پر سر دھنیے:
تمہیں خوشیوں کی جاگیریں مبارک
مجھے غم کی سلطانی بہت ہے
اور یہ شعر بھی اس غزل کا بہت خوب ہے:
پرندے زخم کھا کر اڑ رہے ہیں
ہواو ¿ں کو پشیمانی بہت ہے
یہ چند اشعار بطور نمونہ درج کیے گیے، ورنہ جمال ندولوی کے اس مجموعہ میں اس قسم کے اشعار بہت ہیں،جن میں تخیل کی رفعت، فکر کی ندرت، فن کی جولانی پورے طور پر موجود ہے جس سے قارئین کے دل ودماغ پر اس کے اچھے اثرات مرتب ہو نے کی توقع ہے۔
جمال ندولوی اللہ کو پیارے ہوگیے، ان کے صاحب زادہ نیر اعظم اس کی طباعت کی طرف متوجہ ہوئے اور والد کے کلام کو ضائع ہونے سے بچالیا، اس کے لیے وہ ہم سب کی جانب سے شکریہ کے مستحق ہے، ایسی اولاد قسمت والوں کو ہی ملا کرتی ہے۔


अस्सलाम अलैकुम मेरे प्यारे साथियों और दोस्तों!
मैं अपने संदेश में आप सभी का स्वागत करता हूँ!
आशा है आप सभी अच्छी तरह से होंगे!
तो बिना देर किए चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक:


20230210_214843.jpg

जमाल नाडोलवी (जन्म 1944) बिन मुहम्मद निहालुद्दीन गद्य लेखन और कविता, लेखन और प्रकाशन दोनों से जुड़े रहे हैं। हालांकि जमाल नाडोलवी के पास संरचना और रचना जैसे शब्द नहीं हैं, लेकिन वे कविताओं में अपने विचारों और विचारों को व्यक्त करने के लिए रोज़मर्रा के शब्दों का उपयोग करते हैं, जो अर्थ को बेहतर और बेहतर तरीके से व्यक्त करना होता है।
"मूड ऑफ लाइफ" उनका दूसरा कविता संग्रह है। इससे पहले उनका पहला कविता संग्रह 2015 में "किशकुल सदा" के नाम से आया था। इस दूसरे संग्रह का नाम "मूड ऑफ लाइफ" गैर-साहित्यिक और गैर-काव्य है। कोई आकर्षण और आकर्षण नहीं है, अगर उनका नाम रक्स हयात, हक़ ख़याल आदि होता तो पाठकों का अधिक ध्यान आकर्षित करता, लेकिन अब जमाल नादोलवी दुनिया से चले गए हैं, उनकी जगह कौन लेगा?
जमाल नाडोलवी की कविता पर उनके शिक्षक मतीन इमादी ने लिखा है:

मैं यह नहीं कहता कि जमाल नादोलवी की भाषण शैली अनुत्तरित है, और न ही मैं यह कहता हूं कि उनकी कविता बहुत उच्च कोटि की है... ऐसा नहीं है कि उनकी कविता को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया जाना चाहिए। (किशकुल ध्वनी 4-5)
मतीन इमादी ने अपनी अपेक्षा व्यक्त की थी कि दूसरा संग्रह अधिक सुंदर स्वर होगा और कल्पना के क्षितिज को व्यापक करेगा। यह दूसरा संग्रह अब छपाई के चरण में है, जिसके लिए उनके बड़े बेटे नीर आजम साप्ताहिक के संपादक और मालिक हैं। मैं मुझे अख़बार "आइना जमाल" पर गर्व है, अल्लाह प्रकाशन चरणों को जल्द पूरा करने की कृपा करे।
"जीवन के मिजाज" में भजन, नात, ग़ज़ल, कतर, प्रस्थान पत्र, लोकतंत्र, स्वतंत्रता, देश के लिए प्रेम, मतीन अमदी और जमील मोज़हरी की कविताएँ शामिल हैं। इसे अलग नहीं किया गया है, कभी-कभी एक के बाद एक ग़ज़ल होती है कविता और कभी-कभी एक ग़ज़ल के बाद की कविता, क्योंकि किताब अभी छपाई के चरण से गुज़री नहीं है, इसलिए इसे सुधारा जा सकता है।

आस्तिक को क्या सोचना चाहिए वह प्रशंसा और नात में पाया जाता है। नात के बारे में यह ध्यान देने योग्य है कि जमाल नादुलवी ने उसे प्रार्थना होने से बचाया है। प्रार्थना के साथ तार मिश्रित होते हैं और भक्ति और प्रेम में यह सूक्ष्म अंतर ध्यान में नहीं रखा जाता है और गुलाम और उपासक का भेद मिटता जाता है, जमाल नादोलवी ने इसी अंतर को ध्यान में रखकर एक अच्छी मिसाल कायम की है।
काव्य संग्रह में कई अच्छी कविताएँ हैं, जिनमें धार्मिक विचार, आधुनिक संवेदनाएँ, प्रेम और प्रेम की कहानी सब कुछ मौजूद है।

यदि ह्रदय निष्कपट है, तो सम्मिलित क्रिया लोकप्रिय है
रिया के आधिपत्य वाले कार्य व्यर्थ हो जाते हैं
उसी ग़ज़ल में पढ़िए हकीकत पर आधारित ये कविता:
संसार कभी स्थिर अवस्था में नहीं रहता
एक विजेता भी हमेशा एक दिन हारता है
भारत की वर्तमान स्थिति उसी ग़ज़ल के एक और छंद में झलकती है।
किसी का झूठ सारे तर्कों को रंग देता है
अगर हमारा खून बहा भी जाए तो वह बेकार हो जाता है
जिस ग़ज़ल से इस संग्रह का नाम रखा गया है, उसकी कुछ आयतें दिल और दिमाग को आकर्षित करती हैं और इस तथ्य को दर्शाती हैं कि दोस्त भी अब भरोसेमंद नहीं रह गए हैं, इस दौर में जब घर से दोस्त ही दोस्त बुलाते हैं। जमाल नाडोलवी की इस कविता का।
सभी के चेहरे खून से लथपथ थे
दोस्ती का मिजाज कितना आहत होता है
जमाल कहते हैं कि परिस्थितियां कैसी भी हों, हम आस्तिक हैं और आस्तिक की मनोदशा गुलामी की होती है और वह भी सिर्फ खुदा की गुलामी के लिए, इसलिए उसका सिर कहीं और नहीं झुक सकता (शेष पृष्ठ 41 पर)।
मैं कहीं सिर नहीं झुका सकता
वे अपने हृदय में सेवाभाव का भाव रखते हैं
गुलामी का यह रवैया हमें परलोक के करीब लाता है और इस भावना को पुष्ट करता है कि मरने के बाद सब कुछ यहीं रहेगा और नौकर खाली हाथ अल्लाह के पास जाएगा।

आखिर गया तो खाली हाथ, देखो जमाल
जो मिला था उसमें से क्या बचा था
जमाल नादुलवी की कुछ रचनाओं को खूबसूरती से कविता में रूपांतरित किया गया है, एक कविता में सुख के क्षेत्र और दुख के साम्राज्य को देखें और इस साहित्यिक उद्योग की उत्कृष्टता की प्रशंसा करें:
आपका निवास सुखमय हो
मुझे बहुत दुःख है
और ये श्लोक भी इस ग़ज़ल का बहुत अच्छा है:
पक्षी घायल होकर उड़ रहे हैं
हवा को बहुत पछतावा है
इन चंद कविताओं को नमूने के तौर पर सूचीबद्ध किया जाएगा, वरना जमाल नादोलवी के इस संग्रह में ऐसी कई कविताएं हैं, जिनमें कल्पना की समृद्धि, विचार की दुर्लभता और कला की प्रतिभा पूर्ण रूप से मौजूद है, जो प्रभाव डालती है। पाठकों के दिलो-दिमाग पर अच्छा प्रभाव अपेक्षित है।
जमाल नादोलवी अल्लाह उन्हें प्यारे हों, उनके पोते नायर आजम ने इसके प्रकाशन की ओर आकर्षित होकर अपने पिता की बातों को गुम होने से बचाया, इसके लिए वह हम सबकी तरफ से आभार के पात्र हैं, ऐसे बच्चे ही खुशनसीब होते हैं.

Authors get paid when people like you upvote their post.
If you enjoyed what you read here, create your account today and start earning FREE BLURT!