لمحہ فکریہ

in urdu •  2 years ago 

!السلام علیکم میرے پیارے ساتھیو اور دوستو
میرے بلاغ میں آپ سبھی حضرات کا دل و جان سے خیر مقدم ہے
!امید کرتا ہوں کہ آپ سب خیر و عافیت سے ہوں گے
تو آئیے بلا کسی تاخیر شروع کرتے ہیں آج کے ٹاپک (موضوع) کو:


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ترکی کے صدر رجب طيب اردوگان نے چند ماہ قبل ايک بہت بڑے مجمع ميں تقرير کرتے ہوئے ايک واقعہ سنايا، مجمع نے بہت غور سے اسے سنا۔۔

ميں آپ لوگوں کو تاريخ کا ايک واقعہ سنانا چاہتا ہوں، منگول سلطنت کے بانی چنگيز خان کے پوتے کا نام ہلاکو تھا، اس نے بغداد پر قبضہ کيا اور اسے پوری طرح لوٹ ليا، بعض حوالوں کے مطابق اس نے دو لاکھ اور بعض کے مطابق چار لاکھ انسانوں کو قتل کيا، اس نے بغداد کی ساری قديم مسجديں، مکاتب اور محل ڈھا ديئے۔۔

يہ ساری قيامتيں ہلاکو نے برپا کيں، اسی ظالم حکمراں نے جو بہت دور سے آيا تھا، ايک حکم جاری کيا کہ وہ بغداد کے سب سے بڑے عالم سے ملنا چاہتا ہے، ظاہر سی بات ہے کہ کوئی عالم ہلاکو سے ملنے کے ليے تيار نہيں ہوا، آخر کار کادہان نام کا ايک کم عمر نوجوان جس کی ابھی داڑھی بھی نہيں نکلی تھی اور ايک مدرسے ميں معلم تھا، ہلاکو کا سامنا کرنے کے ليے راضی ہو گيا۔

(ميں چاہتا ہوں کہ آپ لوگ اس واقعے کو بہت غور سے سيريس ہو کر سنيں)

ہلاکو سے ملنے کے ليے جاتے ہوئے کادہان نے اپنے ساتھ ايک اونٹ، ايک بکرا اور ايک مرغا بھی لے ليا۔

نوجوان عالم کادہان، ہلاکو کے خيمے کے پاس پہنچا، اور ہلاکو سے ملنے اندر چلا گيا۔۔

ہلاکو نے نوجوان عالم سے پوچھا: مجھ سے ملنے اور ميرا سامنا کرنے کے ليے بغداد والوں کے پاس تمہارے سوا کوئی اور نہيں تھا؟؟

'کادہان' نے جواب ديا, کہ اگر آپ مجھ سے بڑے سے ملنا چاہتے ہيں, تو باہر ايک اونٹ موجود ہے; اگر داڑھی والا چاہتے ہيں, تو باہر ايک بکرا موجود ہے; اور اگر بلند آواز والا چاہتے ہيں, تو باہر ايک مرغا بھی موجود ہے; آپ جسے چاہيں بلا ليں۔۔

ہلاکو بھانپ گيا, کہ اس کے سامنے کھڑا ہوا شخص کوئی عام آدمی نہيں ہے۔۔

تب ہلاکو نے اس سے پوچھا، يہ بتاؤ کہ ميرے يہاں آنے کی وجہ کيا ہے؟

نوجوان نے اسے بہت گہرا جواب ديا۔۔

اس نے کہا: ہمارے اعمال اور ہمارے گناہ تمہيں يہاں لائے ہيں، ہم نے 'اللّٰہ تعالئ' کی نعمتوں کی قدر نہيں کی، اس کی نافرمانيوں ميں آگے بڑھتے گئے; دنيا، مال و دولت, اور زمين و جائيداد, ہمارے دلوں ميں رچ بس گئے; اس ليے اللہ نے آپ کو ہمارے پاس اپنا عذاب بنا کر بھيجا ہے; تاکہ اس نے ہميں جو نعمتيں دی تھيں وہ ہم سے واپس لے لے

يہ جواب سن کر ہلاکو نے دوسرا بڑا عجيب سوال کر ديا۔۔

مجھے کون يہاں سے نکال سکتا ہے؟

نوجوان نے جواب ديا: جب ہم نعمتوں کی قدر جان ليں گے، ان اللہ کا شکر ادا کرنے لگيں گے، اور آپس کے اختلافات ختم کر ليں گے، تو اس وقت پھر آپ يہاں ہرگز نہيں رہ سکيں گے۔۔

(«تبصرہ:»)
اس وقت مسلمانوں ميں ايک بڑی بيماری يہ پھيلی ہوئی ہے کہ دوسری اقوام پر آنے والی قدرتی آفتوں کو تو وہ پورے يقين کے ساتھ اللہ کا عذاب قرار ديتے ہيں, ليکن اپنی حالت کی بے انتہا خرابی کو بھی احتساب کی نگاہ سے نہيں ديکھتے ہيں۔۔

حالانکہ ہماری تاريخ ميں ايسی بہت سی حکايتيں ہيں, جو خود احتسابی کا احساس ابھارتی ہيں۔۔

رجب طيب اردگان ترک قوم کو ايک نئی اٹھان کے ليے تيار کر رہے ہيں، وہ اس طرح کی حکايتوں کی اہميت کو بخوبی سمجھتے ہيں۔۔

پاکستان کے مسلمانوں کے ليے بھی اس واقعہ ميں بڑا سبق ہے۔۔

اللہ کے "تنبيہی عذابوں" کو دوسروں کے يہاں نہيں, بلکہ خود اپنے يہاں ديکھنے کی ضرورت ہے۔ ورنہ غفلت اور بےعملی کے پردے, اور زيادہ دبيز ہو جائيں گے; اور صبحِ اميد اور دور ہو جائے گی۔۔

        التجاء!

سب دوستوں سے ھاتھ جوڑ کر التماس ھے, کہ ھم اپنی غلطیوں کی 'اللہ تعالی' سے سچے دل سے معافی مانگیں, اور ھر قسم کے "شرک" سے بچ کر صرف 'اللہ تعالئ' کی ذات پر بھروسہ کریں

آج ھمارے ملک, گھروں, اور معاشرے مین جو ابتری ھے, اور بحران ھے; اس سے صرف اور صرف 'اللہ تعالئ' کی ذات ھی بچا سکتی ھے۔ جلدی کریں! ایسا نہ ھو, کہ وقت گزر جائے۔ ھم اور ھماری نسلیں 'بدترین غلام' بن جائیں۔


अस्सलाम अलैकुम मेरे प्यारे साथियों और दोस्तों!
मैं अपने संदेश में आप सभी का स्वागत करता हूँ!
आशा है आप सभी अच्छी तरह से होंगे!
तो बिना देर किए चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक:


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तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने कुछ महीने पहले एक बड़ी सभा में बोलते हुए एक घटना सुनाई थी, सभा ने उन्हें बड़े ध्यान से सुना।

मैं आपको इतिहास की एक घटना बताना चाहता हूं, मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज खान के पोते का नाम हलाकू था, उसने बगदाद पर कब्जा कर लिया और उसे पूरी तरह से लूट लिया, कुछ स्रोतों के अनुसार उसने 200,000 लिए और अन्य के अनुसार उसने मार डाला चार लाख लोगों के साथ, उसने बगदाद की सभी प्राचीन मस्जिदों, स्कूलों और महलों को नष्ट कर दिया।

ये सभी पुनरुत्थान हलाकू के कारण हुए, उसी क्रूर शासक ने, जो दूर से आया था, एक आदेश जारी किया कि वह बगदाद के सबसे बड़े विद्वान से मिलना चाहता है, जाहिर है कि कोई विद्वान हलाकू से मिलने के लिए तैयार नहीं है।आखिरकार, नाम का एक युवक कदाहन, जिसने अभी तक दाढ़ी नहीं बढ़ाई थी और एक मदरसा शिक्षक था, हलाको का सामना करने के लिए तैयार हो गया।

(मैं चाहता हूं कि आप इस घटना को बहुत ध्यान से और गंभीरता से सुनें)

हलाकू से मिलने के रास्ते में, कदहन अपने साथ एक ऊँट, एक बकरी और एक मुर्गी ले गया।

युवा विद्वान कदहन हलाको के तंबू में पहुंचे, और हलाको से मिलने के लिए अंदर गए।

हलाकू ने युवा विद्वान से पूछा: क्या बगदाद के लोगों के पास मुझसे मिलने और मेरा सामना करने के लिए आपके अलावा कोई नहीं था?

'कदाहन' ने उत्तर दिया, कि यदि तुम मुझसे बड़े से मिलना चाहते हो, तो बाहर एक ऊँट है; दाढ़ी चाहिए तो बाहर बकरी है; और यदि आप एक ज़ोरदार चाहते हैं, तो बाहर एक मुर्गा भी है; जिसे चाहो बुला लो।

हलाको ने महसूस किया कि उसके सामने खड़ा व्यक्ति कोई साधारण व्यक्ति नहीं था।

तब हलाकू ने उससे पूछा, बताओ मेरे यहां आने का क्या कारण है?

युवक ने उसे बड़ा गहरा उत्तर दिया।

उसने कहा: हमारे कार्यों और हमारे पापों ने आपको यहां लाया है। दुनिया, धन और संपत्ति, और जमीन और संपत्ति, हमारे दिलों में समृद्ध हो गई; इसी लिए अल्लाह ने तुम्हें हमारे पास अपने अज़ाब के तौर पर भेजा है; ताकि वह हम से वह आशीष वापस ले सके जो उसने हमें दी थी

यह उत्तर सुनकर हलाकू ने एक और बड़ा विचित्र प्रश्न किया।
युवक ने उत्तर दिया: जब हम नेमतों की कीमत जान लेंगे, तो उनके लिए अल्लाह का शुक्रिया अदा करना शुरू कर देंगे और हमारे मतभेद समाप्त कर देंगे, फिर तुम यहां फिर कभी नहीं रह पाओगे।

("टिप्पणी:")
इस समय मुसलमानों में एक बड़ी बीमारी फैल रही है कि वे दूसरे राष्ट्रों पर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं को पूरे विश्वास के साथ अल्लाह की सजा कहते हैं, लेकिन वे अपनी स्थिति की चरम गिरावट को जवाबदेही की दृष्टि से नहीं देखते हैं।

हालांकि हमारे इतिहास में ऐसी कई कहानियां हैं, जो खुद के प्रति जवाबदेही का भाव जगाती हैं।

रेसेप तईप एर्दोगन तुर्की राष्ट्र को एक नए उत्थान के लिए तैयार कर रहे हैं, वह ऐसी कहानियों के महत्व को समझते हैं।

इस घटना में पाकिस्तान के मुसलमानों के लिए एक बड़ी सीख है.

अल्लाह की "चेतावनी देने वाली सजा" को दूसरों में नहीं, बल्कि खुद में देखने की जरूरत है। अन्यथा, उपेक्षा और निष्क्रियता के परदे अधिक से अधिक घने होते जाएंगे; और भोर होते ही आशा कोसों दूर हो जाएगी।

!
सभी मित्रों से हाथ जोड़कर निवेदन है कि हम अपनी गलतियों के लिए 'अल्लाह ताला' से दिल से माफ़ी मांगें और हर तरह के "शिर्क" से बचें और केवल 'अल्लाह ताला' पर भरोसा करें।

आज हमारे देश में, घरों में, समाज में संकट है, संकट है; इससे 'अल्लाह तआला' ही बचा सकता है। जल्दी करो! समय को मत जाने दो। आइए हम और हमारी पीढ़ियां 'सबसे खराब गुलाम' बनें

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