السلام علیکم میرے دوستو اور ساتھیو
امید کہ آپ تمام احباب خیر و عافیت سے ہوں گے
میرے بلاغ میں آپ سبھی کا خیر مقدم ہے
مزید کسی تاخیر کے شروع کرتے ہیں آج موضوع کو
شبعان المعظم اسلامی سال کا آٹھواں مہینہ ہے۔ اس مہینے
کے متعلق نبی اکرام آقاۓ دو جہاںﷺ نے فر مایا شعبان میرامہینہ ہے اوررمضان اللہ رب العزت کا مہینہ ہے۔
جب رجب کا مہینہ شروع ہو تا تو اللہ کے نبی اللہ سے ان مہینوں میں خیر و برکت کی دعائیں
مانگا کرتے تھے
اَللّٰهُمَّ، بَارِکْ لَنَا فِي رَجَبٍ، وَشَعْبَانَ، وَبَلِّغْنَا رَمَضَانَ.
’’اے اللہ! ہمارے لیے رجب اور شعبان میں برکتیں نازل فرما اور رمضان ہمیں نصیب فرما۔‘‘
(طبرانی، المعجم الاوسط، رقم 3939)
شَهْرُ رَمَضَانَ شَهْرُ اﷲِ، وَشَهْرُ شَعْبَانَ شَهْرِي، شَعْبَانُ الْمُطَهِّرُ وَرَمَضَانُ الْمُکَفِّرُ.
رمضان اللہ کا مہینہ ہے اورشبعان میرا مہینہ ہے شبعان (گناہوں سے) پاک کرنے والا ہے اور رمضان المبارک( گناہوں کو) کو دھونے والا ہے ۔
شبعان المعظم اور شب برات کے متعلق تقریبا دس صحابہ اکرام رضی اللہ اجمعین سے روایات ہیں
اس رات کو شب برات اور لیلة المبارکہ کہا جاتا ہے اس رات کو ابتداۓ اسلام سے ہی عبادات کا اہتمام کیا جا تا ہے ۔اس رات کے متعلق ام المومنین حضرت عاٸشہ رضی اللہ عنہا حضور ﷺ کے معمولات کے متعلق روایت کرتیں ہیں کہ میں نے آپ ﷺ کو شبعان المعظم سے زیادہ اور کسی مہینے میں روزہ رکھتے ہوۓ نہیں دیکھا (ترمذی،ج 2 صفحہ نمبر 102 حدیث 736)
یعنی آپ ﷺ پورے مہینے کے روزے رکھتے اور شبعان کو رمضان سے ملا دیتے تھے
حضرت عاٸشہ رضی اللہ عنہا سے روایت ہے کہ ایک رات میں حضور اکرم ﷺ کو موجود نہ پا کر آپ حضرت مُحَمَّد ﷺ کی تلاش میں نکلی تو آپ ﷺ کو جنت البقع میں پایا آپ ﷺ نے فر مایا،
بےشک شبعان کی پندرھویں رات میں اللہ تعالی آسمان دنیا پر تجلی فر ماتا ہے اور قبیلہ بنوکلب کے بکریوں کے برابر لوگوں کی مغفرت فر ماتا ہے (ترمذی، ج2 صفحہ 183 حدیث 739)
معلوم ہوا کہ شب برات میں عبادت کرنا اور قبرستان جانا سنت ہے اور نہ جانے والوں کو برا سمجھنا بدعت ہے ۔(مراة المناجیح صفحہ 290)
جار اللہ ابو قاسم رحمة اللہ علیہ اس رات کے متعلق فر ماتے ہیں ۔
نصف شبعان کی رات کے چار نام ہیں ۔
لیلة المبارکہ
لیلة البراة
لیلة الصک
لیلة الرحمہ
اس رات کو لیلة البراة اور لیلة الصک اس لیے کہا جاتا ہے کہ اس رات ایک بندار یعنی وہ شخص جس کے ہاتھ میں وہ پیمانہ ہو کہ جس سے ذمیوں سے پورا خراج لے کر ان کے لیے برات لکھ دیتا ہے
اسی طرح اللہ تعالی اس رات میں اپنے بندوں کے لیے بخشش لکھ دیتا ہے ۔اس کے اور لیلة القدر کے درمیان چالیس راتوں کا فاصلہ ہے ۔
یہ بھی ایک قول ہے کہ یہ رات پانچ خصوصیتوں کی حامل ہوتی ہے ۔
اس میں ہر کام کا فیصلہ ہوتا ہے
اس میں رحمت کا نزول ہو تا ہے
اس میں عبادت کی فضیلت ہے
اس میں شفاعت کا اہتمام ہو تا ہے
اس کے آخری اور پانچویں خصوصیت یہ ہے کہ اللہ تبارک و تعالی اس رات کو آب زمزم میں ظاہراً زیادتی فر ما تا ہے
نبی اکرم ﷺ نے تیرہ شبعان کی رات کو اپنی امت کی بخشش کا سوال فر مایا تو آپ ﷺ کو تیسرا حصہ عطا فر مایا گیا ۔چودہ شبعان المعظم کو آپ ﷺ نے اپنی امت کی بخشش مانگی تو آپ ﷺکو دو تہاٸی امت کی بخشش عطا فر ماٸی گٸی ۔
جب آپ ﷺ نے پندرھویں شبعان کو دعا مانگی تو پوری امت سواۓ چند نا فر مانوں کے آپ ﷺ کے سپرد کر دی گئی۔
(تفسیر الکشاف 4 ،269 تفسیر سورہ دخان )
امام بغوی نے حضور ﷺ سے مرفوع روایت نقل کی ہے
حضور اکرم ﷺ فر ماتے ہیں
شبعان سے شبعان تک اموات لکھی جاتیں ہیں یہاں تک کہ آدمی نکاح کرتا ہے اور اس کے ہاں اولاد ہوتی ہے حالانکہ اس کا نام مردوں میں لکھا جا چکا ہوتا ہے ۔
تفسیر ابن ابی حاتم 10 ، 3287
حضرت ابو بکر صدیق (رضی اللہ عنہ) سے روایت ہے کہ رسول اللہ (صلیٰ اللہ علیہ وآلہ وسلم) نے ارشاد فرمایا:
نصف شعبان کی رات رحمتِ خداوندی آسمان دنیا پر نازل ہوتی ہے۔ پس ہر شخص کو بخش دیا جاتا ہے سوائے مشرک شخص کے یا جس کے دل میں کینہ ہو۔
شعب الایمان، رقم: 26/3827
ایک روایت کے مطابق اس مہینے میں زیادہ سے زیادہ درود شریف پڑھنے کی بھی بہت فضیلت بیان ہوئیہےدرودِ پاک پڑھنے کا مہینا
درودِ پاک پڑھنا افضل ترین اعمال میں سے ہے اور ماہِ شعبان المعظم کو درودِ پاک پڑھنے کا مہینہ کہا گیا ہے، چنانچہ امام قَسْطَلانی قُدِّسَ سِرُّہُ النُّوْرَانِی نقل فرماتے ہیں: بے شک شعبان کا مہینا نبیِّ پاک صلَّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہٖ وسلَّم پر درود شریف پڑھنے کا مہینا ہے کہ آیت: (اِنَّ اللّٰهَ وَ مَلٰٓٸكَتَهٗ یُصَلُّوْنَ عَلَى النَّبِیِّؕ ) (پ22، الاحزاب) اسی مہینے میں نازل ہوئی۔(مواھبِ لدنیہ، ج2،ص506)
مندرجہ بالا تما م احادیث اور روایات سے یہ بات ظاہر ہوتی ہے کہ شب برات تمام سر کش اور بھٹکے ہوۓ لوگوں کے لیے ایک دستک ہے جو آخرت سے غافل ہیں اور دنیا کی زندگی کو ہی حرف آخر مان چکے ہیں یہ رات اللہ ﷻ کی طرف سے ایک بلاوہ ہے ایک تحفہ ہے بخشش کا وسیلہ ہے تمام گنہگاروں کے لیے کہ اس رات میں عبادت کا اہتمام فر ماٸیں ۔تسبح وتہلیل کا اہتمام کریں اپنے رب کے حضور عاجزی سے جھکیں اور اس رضا و خوشنودی کو پا لیں اپنی اور تمام مسلمانوں کی بھلاٸی مانگیں بدعات سے بچیں روزہ اور عبادت کا اہتمام فر مائیں
اللہ تعالی قرآن مجید میں فر ما تا ہے ۔
یَمْحُوا اﷲُ مَا یَشَآئُ وَ یُثْبِتُج وَ عِنْدَه اُمُّ الْکِتٰبِ
اﷲ جس (لکھے ہوئے) کو چاہتا ہے مٹا دیتا ہے اور (جسے چاہتا ہے) ثبت فرما دیتا ہے، اور اسی کے پاس اصل کتاب (لوحِ محفوظ) ہے۔
لہذا اس مبارک رات میں قرآن مجید کی تلاوت کریں ،کیونکہ اللہ کے نزدیک قرآن سیکھنا اور سکھانا سب سے افضل عبادت ہے ۔نوافل کا اہتمام کیا جاۓ۔ ذکر اذکار کی پابندی سے فیوض و بر کات کو سمیٹا جا ۓ تاکہ جب اللہ رب العزت فرشتوں کو ہماری تقدیر کے فیصلے سونپیں تو ہم نیک امور میں مشغول ہوں۔اور اس کے مقرب بندوں کی فہرست میں ہمارا نام لکھا جاۓ تہجد کا اہتمام کریں اور درود شریف کثرت سے پڑھیں ۔۔۔۔
اگر ہم نیک اعمال کا اہتمام کریں تو شب برات ہمارے اعمال کو بدل دیتی ہے ۔
اللہ تبارک و تعالی ہمیں عبادات کے اہتمام کو توفیق عطا فر ماۓ
آمین
मेरे दोस्तों और सहकर्मियों को शांति मिले
आशा है कि आपके सभी मित्र अच्छे होंगे
मेरे ब्लॉग में आप सभी का स्वागत है
बिना देर किए चलिए आज का विषय शुरू करते हैं
शाबान-उल-मुजम इस्लामिक साल का आठवां महीना है। इस महीने
इसके बारे में, पवित्र पैगंबर (उन पर शांति हो) ने कहा: शाबान मेरा महीना है और रमजान अल्लाह का महीना है, जो सबसे अधिक है।
जब रज्जब का महीना शुरू होता है, तो इन महीनों में अल्लाह के रसूल से दुआ करो
पूछते थे
ऐ अल्लाह, हमें रजब, शाबान और रमज़ान में बरकत दे।
ओ अल्लाह! रजब और शाबान के महीनों में हमें बरकत दे और रमज़ान की बरकत दे।”
(तबरानी, अल-मुजम अल-अवसत, संख्या 3939)
रमजान का शहर अल्लाह का शहर है, और शाबान का शहर शहर है, शाबान शुद्ध है और रमजान काफिर है।
रमजान अल्लाह का महीना है और शाबान मेरा महीना है।
सहाबा इकराम से शाबान-उल-मुजम और शब-ए-बारात से संबंधित लगभग दस हदीसें हैं
इस रात को शब-ए-बारात और लैलत अल-मुबारक कहा जाता है। इस रात को इस्लाम की शुरुआत से ही इबादत का आयोजन किया जाता है। इस रात के बारे में उम्मे अल-मुमिनिन हजरत आयशा (र. (PBUH) मैंने पैगंबर ﷺ को शाबान अल-मुजम (तिर्मिज़ी, खंड 2, पृष्ठ संख्या 102, हदीस 736) से अधिक किसी भी महीने में उपवास करते नहीं देखा।
यानी वह पूरे महीने रोज़ा रखते थे और शाबान को रमज़ान से मिलाते थे
हज़रत आइशा से वर्णित है कि एक रात जब उन्हें नबी ﷺ नहीं मिले, तो वह पैगंबर मुहम्मद ﷺ की तलाश में निकलीं और उन्हें जन्नत में पाया।
वास्तव में, शाबान की पंद्रहवीं रात को, अल्लाह सर्वशक्तिमान आकाश और दुनिया पर चमकता है और बकरियों के बराबर बनकलब जनजाति के लोगों को क्षमा करता है (तिर्मिज़ी, खंड 2, पृष्ठ 183, हदीस 739)।
पता चला कि शब-ए-बारात पर इबादत करना और क़ब्रिस्तान जाना सुन्नत है और न जाने वालों को बुरा मानना बिदअत है।
जरुल्लाह अबू कासिम रहिमहुल्लाह इस रात के बारे में फरमाते हैं।
आधे शाबान की रात के चार नाम हैं।
लैला मुबारका
लैलत अल-बरात
लैलात अल-साक
लैलात अल-रहमा
इस रात को लैलत अल-बरात और लैलत अल-सक कहा जाता है क्योंकि उस रात एक बंदर, यानी एक व्यक्ति जिसके हाथ में एक तराजू होता है, जिसके साथ वह धिम्मियों से पूरी श्रद्धांजलि लेता है और उनके लिए बरात लिखता है .
इसी तरह इस रात में अल्लाह अपने बन्दों के लिए मग़फ़िरत लिखता है और लैलतुल क़द्र में चालीस रातों का फासला है।
एक कहावत भी है कि इस रात के पांच लक्षण हैं।
इसमें सब कुछ तय है
इसमें दया प्रकट होती है
इसमें पूजा का गुण होता है
इसमें हिमायत का आयोजन किया जाता है
इसकी आखिरी और पांचवीं विशेषता यह है कि अल्लाह इस रात को ज़मज़म के पानी में पानी डालता है।
शाबान के तेरहवें दिन की रात को, पैगंबर ने अपनी उम्मत की क्षमा मांगी, और उन्हें इसका एक तिहाई दिया गया। माँ चली गई।
जब पैगंबर ﷺ ने शाबान के पंद्रहवें दिन प्रार्थना की, तो कुछ अवज्ञाकारी लोगों को छोड़कर पूरी उम्मत उन्हें सौंप दी गई।
(तफ़सीर अल-कशफ़ 4,269 तफ़सीर सूरह दुखान)
इमाम बघवी ने हदीस को नबी ﷺ से रिवायत किया है
पवित्र पैगंबर ﷺ प्रार्थना करते हैं
मृत्यु शाबान से शाबान तक दर्ज की जाती है जब तक कि एक आदमी शादी नहीं करता और उसके बच्चे होते हैं, भले ही उसका नाम पहले से ही मृतकों में लिखा हो।
तफ़सीर इब्न अबी हातिम 10, 3287
हज़रत अबू बकर सिद्दीकी रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया:
आधी शाबान की रात को दुनिया पर खुदा की रहमत उतरती है। इसलिए बहुदेववादी या उसके दिल में नफरत रखने वाले को छोड़कर सभी को माफ कर दिया गया।
शब अल-अयमान, राशि: 26/3827
एक परंपरा के अनुसार इस महीने में ज्यादा दुरूद शरीफ पढ़ने का पुण्य भी दुरूद-ए-पाक पढ़ने का महीना बताया गया है।
दुरूद की तिलावत करना सबसे अच्छे कर्मों में से एक है और शाबान अल-मुअज़म के महीने को दुरूद पढ़ने का महीना कहा गया है, इसलिए इमाम कस्तलानी कुदिस सिराह अल-नूरानी कहते हैं: वास्तव में, शाबान का महीना महीना है पवित्र पैगंबर पर दुरूद शरीफ पढ़ने का, भगवान उन्हें आशीर्वाद दे और उन्हें शांति प्रदान करे। यह महीने का महीना है कि आयत: (इन्ना अल्लाह व माल ّٰٰٓلكتَهِ يُسْلُوّنَ عَلَى النَّبِيِّؕ) (पृष्ठ 22, अल-अहज़ाब) नाज़िल हुई उसी महीने में।
उपरोक्त सभी हदीसों और परंपराओं से यह स्पष्ट है कि शब-ए-बारात उन सभी ज़िद्दी और पथभ्रष्ट लोगों के लिए एक दस्तक है, जो आख़िरत से बेखबर हैं और इस दुनिया के जीवन को अंतिम शब्द के रूप में स्वीकार कर चुके हैं। यह रात अल्लाह की ओर है। यह ईश्वर का आह्वान है, यह एक उपहार है, यह सभी पापियों के लिए इस रात में पूजा की व्यवस्था करने के लिए क्षमा का साधन है। भलाई के लिए पूछें, नवाचार, उपवास और पूजा से बचें
अल्लाह सर्वशक्तिमान पवित्र कुरान में कहते हैं।
यमुवा अल्लाह जो हुआ और स्थापित हुआ और उसके साथ पुस्तक की जननी है।
अल्लाह जो चाहता है मिटा देता है और लिख देता है (जो चाहता है) और उसी के पास असली किताब है।
इसलिए इस मुबारक रात में क़ुरआने करीम की तिलावत करो, क्योंकि अल्लाह की नज़र में क़ुरआन पढ़ना और सिखाना ही इबादत का सबसे अच्छा तरीका है। ज़िक्र के पालन से आशीर्वाद और आशीर्वाद इकट्ठा किया जाता है, ताकि जब अल्लाह सर्वशक्तिमान फरिश्तों को हमारे भाग्य के फैसले सौंपे, तो हम अच्छे कामों में लगें। और हमारा नाम उनके करीबी नौकरों की सूची में लिखा गया है। दुरूद शरीफ को बार-बार पढ़ें। .
अगर हम अच्छे कर्म करते हैं तो शब-ए-बारात हमारे कर्मों को बदल देता है।
अल्लाह ताला हमें इबादत का आयोजन करने का मौका दे
तथास्तु