ڈیپ فیکس کی خطرناکی

in urdu •  last year 

Urdu:

السلام علیکم میرے پیارے
ساتھیو اور دوستو
میرے بلاغ میں آپ سبھی حضرات کا دل و جان سے خیر مقدم ہے
امید کرتا ہوں کہ آپ سب خیر و عافیت سے ہوں گے
تو آئیے بلا کسی تاخیر شروع کرتے ہیں آج کے ٹاپک (موضوع) کو:


20230201_162356.jpg

یہ یقینی بات ہے کہ غلط اطلاع اور دھوکہ بازی سے انسان کو نقصان پہنچتا ہے، لیکن اب یہ صرف نقصان ہی کا باعث نہیں ہے بلکہ باضابطہ جنگ و جدال کاخطرناک روپ دھار چکا ہے، جس سے سماج میں اختلاف و انتشار کا ماحول پیدا ہوتاہے اور بسا اوقات انتخابی نتائج بھی متاثر ہوتے ہیں۔ شہرت کی چاہت رکھنے والے افراد، نظریاتی گروہ، انتہا پسند متشددین اور مال و زر کی آرزو رکھنے والےجعلی افراد سوشل میڈیا کی چیزوں کو بآسانی ساز بازی سے بدل دیتے ہیں اور یہ عمل کسی مخصوص طریقہ کے ذریعہ ہی ممکن ہوتا ہے، جس میں ان کی غیر معمولی پہنچ کا عمل دخل پایا جاتا ہے۔ اس دھمکی آمیز غلط اطلاع کے پیچھے باریک جعل سازی (Deepfakes)کی شکل میں ایک آلہ کارفرما ہوتا ہے۔

ڈیپ فیکس کیا ہے؟

یہ ایک ایسا ڈیجیٹل میڈیا ہے جس میں مصنوعی ذہانت (Artificial Intelligence) کے ذریعہ ویڈیو، آڈیو اور فوٹوز میں چھیڑ چھاڑ کرکے انھیں تبدیل کیا جاتا ہے۔ یہ ایک طرح کی ڈیجیٹل جعل سازی ہے۔ دراصل ڈیپ فیکس کا استعمال کسی شخص یا ادارے کو نقصان پہنچانے کے لیے کیا جاتا ہے۔ کمپیوٹرکے وسائل تک عام رسائی، الگوریتھم کا عمومی استعمال، نیٹ کی بآسانی فراہمی اور میڈیا کےبے پناہ استعمال نے اس میں ساز بازی کا ایک طوفان برپا کر دیا ہے۔ اس مصنوعی میڈیا کےمواد کو ڈیپ فیکس کہا جاتا ہے۔

آرٹیفیشیل انٹیلیجنس مصنوعی میڈیا یا ڈیپ فیکس تیار کرتا ہے، جن کا استعمال خاص خاص میدانوں میں ہوتا ہے، مثلا: تعلیم، فلم سازی، مجرمانہ گواہی اورفنکارانہ اظہار وغیرہ میں۔تاہم، جیسے جیسے مصنوعی میڈیا ٹیکنالوجی تک رسائی بڑھتی ہے، اسی طرح استحصال کا خطرہ بھی بڑھ جاتا ہے۔اس کا استعمال کردار کو بدنما کرنے، جعلی ثبوت تیار کرنے،عام لوگوں کو دھوکہ دینے اور جمہوری اداروں پر سے اعتماد کو کمزور کرنے کے لیے بھی کیا جاتاہے۔ یہ سب کچھ بڑی تیزی سے کم وسائل میں انجام دینا ممکن ہے۔

نشانے پر کون لوگ ہیں؟

ڈیپ فیکس کے غلط استعمال کا پہلا کیس فحش فلموں (Pornography) میں دیکھنے کو ملا۔ "Sensity.ai" کی رپورٹ کے مطابق 96 فیصد ڈیپ فیکس فحش مواد ہیں۔ صرف فحش ویب سائیٹ پر 135 ملین سے زائد لوگوں نے اسے دیکھا ہے۔ ڈیپ فیکس والی فحش فلموں میں زیادہ تر عورتوں کو نشانہ بنایا جاتا ہے اور اس کے ذریعہ سے لوگوں کوڈرا یا، دھمکایا اور انھیں نفسیاتی طور پر نقصان پہنچا یا جاتا ہے۔ یہ خواتین کو جنسی استحصال کے لیے مجبورکرتا ہے جو کہ نفسیاتی تناؤکا سبب بنتا ہے اور بعض صورتوں میں مالی نقصان اور ملازمت کھونے جیسے نتائج بھی بھگتنے پڑتے ہیں۔ ڈیپ فیکس کے ذریعہ کسی شخص کو غیر سماجی رویوں میں ملوث ہونے اور ایسی گھٹیا باتیں کہتے ہوئے دکھایا جاسکتاہے، جو اس نے کبھی انجام ہی نہیں دیا، یہاں تک کہ اگر وہ شخص وضاحت دے کریا کسی دوسرے ذرائع سے جعل سازی کو ختم کردے، تب بھی یہ درستگی نقصان کا مداوا کرنے میں معاون نہیں ہوسکتی ہے۔

ڈیپ فیکس قلیل مدتی اور طویل مدتی نقصان کا باعث بھی بن سکتا ہے اور روایتی میڈیا پر پہلے سے گرتے ہوئے اعتماد میں اضافہ کرسکتا ہے۔ شرپسند ریاست عوامی تحفظ کو نقصان پہنچانے اور کسی ملک میں غیر یقینی صورتحال اور افراتفری کا ماحول پیدا کرنے کے لیے اسےایک طاقتور ٹول کے طور پر کام میں لا سکتی ہے اور اس کے ذریعہ سے ادارے اور سفارت کاری پر اعتماد کوبھی کمزور کیا جاسکتا ہے۔

عام طور پر باغی گروہ اور دہشت گرد تنظیمیں ڈیپ فیکس کا استعمال کرتی ہیں، تاکہ وہ اپنے مخالفین کو اشتعال انگیز تقریریں سنوائیں اور ان کے جذبات کو بھڑکانے کے لیے انھیں اشتعال انگیز کارروائیاں دکھا سکیں۔

ڈیپ فیکس سے متعلق ایک دلچسپ بات یہ ہےکہ وہ جھوٹ کا پلندہ ہے۔ سچائی کو ڈیپ فیکس یا جعلی خبر کہہ کر مسترد کر دیا جاتا ہے۔ ڈیپ فیکس کا محض وجود ہی اسے اعتبار کے قابل بنا دیتا ہے۔ سیاسی لیڈران بھی ڈیپ فیکس کو بآسانی ہتھیار بنا سکتے ہیں اور اس کے ذریعہ سےمیڈیا کی خبروں اور سچائی کو مسترد کرنے کے لیے جعلی خبروں اور متبادل حقائق پیش کر سکتے ہیں۔

اس کا حل کیا ہے؟

میڈیائی مواد کی شناخت کے لیے عوام میں گہرے شعور کو عام کرنا چاہیے۔ اس لیے کہ "سوشل میڈیا صارفین" کے لیےغلط معلومات اور ڈیپ فیکس کا مقابلہ کرنے کا سب سے مؤثر ذریعہ میڈیا سے گہری واقفیت ہے۔

ضرورت اس بات کی ہے کہ ہم ٹیکنالوجی کی صنعت، معاشرہ کے افراد اور پالیسی سازوں کے ساتھ باہم گفتگو کریں اور انھیں اس کے متعلق اہم ہدایات دیں، تاکہ نقصان دہ ڈیپ فیکس کی تخلیق اور تقسیم کو روکنے کے لیے قانونی حل تیار کیا جاسکے۔

اس وقت تمام سوشل میڈیا پلیٹ فارم ڈیپ فیکس کے مسئلے پر نوٹس لے رہے ہیں اور تقریباً سبھی کے پاس ڈیپ فیکس کے لیے کچھ نہ کچھ پالیسیاں اور شرائط ہیں۔ ہمیں ڈیپ فیکس کا پتہ لگانے، میڈیا کی توثیق کرنے اور مستند ذرائع کو وسعت دینے کے لیے ایسی ٹیکنالوجی کے حل کی بھی ضرورت ہے، جس کا استعمال آسان ہو۔

انٹرنیٹ پر ڈیپ فیکس جیسی آفت کا مقابلہ کرنے کے لیے ہم سب کو میڈیا کا ہوش مند صارف بننے کی ذمہ داری قبول کرنی ہوگی۔ سوشل میڈیا پر کچھ بھی شیئر کرنے سے پہلے سوچیں اور توقف کریں اور اس بیماری (Infodemic) کے حل کا حصہ بنیں۔


Hindi:

शांति तुम पर हो मेरे प्रिय
साथियों और दोस्तों!
मैं अपने संदेश में आप सभी का स्वागत करता हूँ!
उम्मीद है आप सब ठीक हैं!
तो बिना देर किए चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक:


यह तय है कि झूठी सूचना और धोखा व्यक्ति को हानि पहुँचाता है, लेकिन अब यह केवल नुकसान का कारण नहीं है, बल्कि आधिकारिक युद्ध और संघर्ष का एक खतरनाक रूप बन गया है, जो समाज में कलह और अराजकता का माहौल पैदा करता है।कभी-कभी चुनाव परिणाम भी प्रभावित हैं। शोहरत चाहने वाले लोग, वैचारिक समूह, हिंसक चरमपंथी और नकली लोग जो पैसा और पैसा चाहते हैं, सोशल मीडिया की सामग्री में आसानी से हेरफेर कर सकते हैं और यह प्रक्रिया एक निश्चित तरीके से ही संभव है, जिसमें उन्हें असाधारण पहुंच की प्रक्रिया मिलती है। इस खतरनाक गलत सूचना के पीछे डीपफेक के रूप में एक उपकरण है।

डीप फ़ैक्स क्या है?

यह एक डिजिटल मीडिया है जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा वीडियो, ऑडियो और फोटो में हेरफेर और बदलाव किया जाता है। यह एक तरह का डिजिटल फर्जीवाड़ा है। डीपफेक का इस्तेमाल असल में किसी व्यक्ति या संस्था को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जाता है। कंप्यूटर संसाधनों तक सामान्य पहुंच, एल्गोरिदम का सामान्य उपयोग, नेट का आसान प्रावधान और मीडिया के अत्यधिक उपयोग ने इसमें नवाचार की आंधी पैदा कर दी है। इस कृत्रिम मीडिया सामग्री को डीपफैक्स कहा जाता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कृत्रिम मीडिया या डीपफेक का उत्पादन करता है, जिसका उपयोग बहुत ही विशिष्ट क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे: शिक्षा, फिल्म निर्माण, आपराधिक गवाही और कलात्मक अभिव्यक्ति, आदि। हालांकि, जैसे-जैसे कृत्रिम मीडिया तकनीक की पहुंच बढ़ती है, वैसे-वैसे शोषण भी होता है। चरित्र को बदनाम करना, झूठे सबूत गढ़ना, जनता को धोखा देना और लोकतांत्रिक संस्थानों में विश्वास को कम करना। यह सब बहुत जल्दी और कम संसाधनों में किया जा सकता है।

निशाने पर कौन लोग हैं?

डीपफैक्स के गलत इस्तेमाल का पहला मामला पोर्नोग्राफी में देखा गया था। "Sensity.ai" की रिपोर्ट है कि 96 प्रतिशत डीपफेक अश्लील सामग्री हैं। अकेले पॉर्न वेबसाइट्स पर ही इसे 13.5 करोड़ से ज्यादा लोग देख चुके हैं। डीपफेक पोर्न ज्यादातर महिलाओं को निशाना बनाता है और इससे लोगों को डराया, धमकाया और मनोवैज्ञानिक रूप से नुकसान पहुंचाया जाता है। यह महिलाओं को यौन शोषण के लिए मजबूर करता है जो मनोवैज्ञानिक तनाव का कारण बनता है और कुछ मामलों में वित्तीय नुकसान और नौकरी छूट जाती है। डीपफेक किसी व्यक्ति को असामाजिक व्यवहार में लिप्त और कठोर बातें कहते हुए दिखा सकता है जो उसने कभी नहीं किया, भले ही व्यक्ति ने अन्य तरीकों से जालसाजी को दूर कर दिया हो। फिर भी यह सटीकता क्षति को ठीक करने में मदद नहीं कर सकती है।

डीपफेक अल्पकालिक और दीर्घकालिक नुकसान भी पहुंचा सकते हैं और पारंपरिक मीडिया में पहले से ही कम हो रहे भरोसे को बढ़ा सकते हैं। एक दुष्ट राज्य इसे सार्वजनिक सुरक्षा को कमजोर करने और देश में अनिश्चितता और अराजकता का माहौल बनाने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उपयोग कर सकता है, जिससे संस्थानों और कूटनीति में विश्वास कम हो सकता है।

डीपफेक का उपयोग आमतौर पर विद्रोही समूहों और आतंकवादी संगठनों द्वारा अपने विरोधियों को भड़काऊ भाषण देने और उनकी भावनाओं को भड़काने के लिए उत्तेजक कार्रवाई दिखाने के लिए किया जाता है।

डीपफेक के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि वे झूठ के बीज होते हैं। सच को डीपफेक या फेक न्यूज कहकर खारिज कर दिया जाता है। डीपफैक्स का मात्र अस्तित्व इसे विश्वसनीय बनाता है। राजनीतिक नेता भी आसानी से डीपफेक को हथियार बना सकते हैं और मीडिया में समाचार और सच्चाई को गलत साबित करने के लिए नकली समाचार और वैकल्पिक तथ्य पेश करने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
क्या निदान है?

मीडिया सामग्री की पहचान करने के लिए, जनता के बीच गहरी जागरूकता विकसित की जानी चाहिए। क्योंकि "सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं" के लिए गलत सूचना और डीपफेक से निपटने का सबसे प्रभावी साधन मीडिया के साथ एक गहरी पहचान है।

हमारे लिए प्रौद्योगिकी उद्योग, जनता और नीति निर्माताओं के साथ जुड़ने और हानिकारक डीपफेक के निर्माण और वितरण को रोकने के लिए कानूनी समाधान विकसित करने के बारे में महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करने की आवश्यकता है।

वर्तमान में सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म डीप फैक्सिंग के मुद्दे पर ध्यान दे रहे हैं और लगभग सभी में डीप फैक्सिंग के लिए कुछ प्रकार की नीतियां और शर्तें हैं। हमें डीपफेक का पता लगाने, मीडिया को मान्य करने और प्रामाणिक स्रोतों को बढ़ाने के लिए उपयोग में आसान प्रौद्योगिकी समाधानों की भी आवश्यकता है।

इंटरनेट पर डीपफेक के संकट से निपटने के लिए, हम सभी को जागरूक मीडिया उपभोक्ता होने की जिम्मेदारी लेनी होगी। सोशल मीडिया पर कुछ भी शेयर करने से पहले सोचें और रुकें और इस बीमारी (इन्फोडेमिक) के समाधान का हिस्सा बनें।

Authors get paid when people like you upvote their post.
If you enjoyed what you read here, create your account today and start earning FREE BLURT!
Sort Order:  
  ·  last year  ·  

Congratulations your post has been curated by blurt-india