آخر مجھے بھی تو اس دنیا سے جانا ہے

in urdu •  2 years ago 

Urdu:

!السلام علیکم میرے پیارے ساتھیو اور دوستو
میرے بلاغ میں آپ سبھی حضرات کا دل و جان سے خیر مقدم ہے
امید کرتا ہوں کہ آپ سب خیر و عافیت سے ہوں گے
تو آئیے بلا کسی تاخیر شروع کرتے ہیں آج کے ٹاپک (موضوع) کو:


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کسی کی موت پر تعزیت اور دعائے مغفرت کر دینا کافی نہیں۔
بلکہ یہ میرے لئے ایک یاددہانی کا موقع ہے۔
میں نے بھی مرنا ہے۔ یونہی لوگ کہیں گے اللہ اسکو بخشے وہ تھی،وہ یوں کرتی تھی۔

اگر آپ سمجھ رہے ہیں کہ مرنے کی عمر ابھی نہیں آئی تو یاد رکھئے کہ مرتے بچے بھی ہیں، جوان بھی ہیں، بوڑھے بھی ہیں۔

ہم سمجھتے ہیں موت کے بعد سب ختم ہو جاتا ہے۔اصل میں تو موت کے بعد جو میرے ساتھ ہونا ہے وہ اچھا ہو یا برا وہ کبھی ختم نہیں ہونا۔
اب وہ زندگی دردناک ہوگی یا عیش و آرام والی۔۔میں کب فکر کروں گی اسکی؟

یہاں کی پریشانی کے تو کوئی حل نکل ہی آتے ہیں۔ صبر آہی جاتا ہے۔ وہاں اگر پریشانی والی زندگی ہوئی تو صبر کیا نہ کیا، درد اور اذیتیں کبھی ختم نہیں ہونے والی

پھر وہاں جانا بھی اکیلے ہے۔ اور ماں باپ اولاد شوہر میں سے کسی سے کوئی فائدہ نہیں پہنچے گا۔

دنیا میں کچھ بھی حاصل کرلیں، اور سمجھیں کہ مجھے سب مل گیا ہے۔
اصل میں کامیاب ہوئے یا فیل ہوگئے۔ اسوقت معلوم ہوگا جب موت کا وقت آئے گا اور رب راضی ہوگا یا ناراض۔ باقی سب یہیں رہ جائے گا۔

‼️کبھی سوچا ہے کہ جو ابھی میں ہوں وہی قبر میں ہوں گی۔ وہاں ایکدم سے نیک نہیں بن جائیں گے۔
آج میں اللہ کے حکم سے دور بھاگتی ہوں۔ سستی کرتی ہوں، خواہشیں ہی دین کی طرف جانے نہیں دیتیں۔
تو مرنے کے بعد ایکدم سے اللہ کی محبت اور اطاعت دل میں نہیں آئے گی۔ میں یہی والی ہوں گی۔۔۔!!!!!

چاہے کتنے ہی سال زندگی گزاری ہوگی وہ ایسے ہی لگے گا جیسے زیادہ سے زیادہ ایک دن۔محض ایک دن!!!!!

اس ایک دن کیلیے اللہ کو ناراض کروں گی میں؟ ایک دن مین اللہ کو نہیں دے سکتی؟
اس ایک دن کی زندگی کو میں من چاہی کی بجائے رب چاہی نہیں گزارسکتی۔۔

دن کے کچھ حصے جیسی زندگی پر آخرت نہ قربان کردینا!!!

🪷کوشش کریں اس خوشی کیلئے کہ جب شکر کریں کہ اس ایک دن کی زندگی میں رب کو راضی کرلیا۔۔
اور بچیں اس حسرت اور پچھتاوے سے کہ اس چھوٹی سی حقیر سی زندگی کیلیے یہ عذاب خریدا میں نے!!!!

اپنے پورے دن کا جائزہ لیجئے۔
کتنے گھنٹے میں ایسے کام کر رہی ہوں جو یہیں رہ جانے ہیں۔
اور کتنے گھنٹے ایسے کام ہیں جو اللہ کے ہاں بھی اجر کیلئے سیو ہو رہے ہوں۔

دنیا کی مثال یوں سمجھیں جیسے واش روم جانا ضروری تو ہے۔ لیکن انسان وہیں دن کا بیسٹ ٹائم نہین گزار دیتے۔
اسی طرح اپنے بیسٹ ٹائم کو ضائع مت کیجئے۔ دنیا سے اتنا ہی لیں جتنا یہاں رہنے کیلئے ضروری ہے۔

اور جتنا سکون عیش سہولت خوشی ہمیشہ کیلئے چاہیے۔ اتنی ہی کوشش اخرت کیلئے کیجیے۔


Hindi:

अस्सलाम अलैकुम मेरे प्यारे साथियों और दोस्तों
मैं अपने संदेश में आप सभी का स्वागत करता हूं
आशा है आप सब अच्छे होंगे
तो बिना देर किए चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक:


किसी की मृत्यु के लिए शोक व्यक्त करना और क्षमा प्रार्थना करना पर्याप्त नहीं है।
बल्कि यह मेरे लिए एक रिमाइंडर है।
*मुझे भी मरना है। लोग कहेंगे, अल्लाह की रहमत हो, वो ऐसी थी, ऐसे करती थी।

अगर आप सोच रहे हैं कि अभी मौत की उम्र नहीं आई है तो याद रखिए कि मरने वाले बच्चे, जवान और बूढ़े भी होते हैं।

हम सोचते हैं कि मरने के बाद सब कुछ खत्म हो जाता है, दरअसल मरने के बाद मेरे साथ जो होता है, चाहे अच्छा हो या बुरा, कभी खत्म नहीं होता।
अब वह जीवन दुखमय होगा या विलासी, इसकी चिंता मैं कब करूं?

समस्या का समाधान यहीं है। धैर्य रखें। यदि जीवन में क्लेश है तो आप कितना भी धैर्य क्यों न रख लें, पीड़ा और कष्ट कभी समाप्त नहीं होंगे

फिर वहां जाना भी सूना हो जाता है। तथा माता-पिता, संतान, पति में से किसी से भी लाभ नहीं होगा।

संसार में कुछ भी पा लो, और समझो कि मुझे सब कुछ मिल गया।
वास्तव में सफल या असफल। पता चलेगा कि मृत्यु का समय कब आएगा और प्रभु प्रसन्न होंगे या अप्रसन्न। बाकी सब यहीं रहेगा।

क्या आपने कभी सोचा है कि अब मैं जो हूं वह कब्र में होगा। वहाँ फौरन गुणवान नहीं बनेंगे।
आज मैं अल्लाह के हुक्म से भागता हूँ। मैं आलसी हूँ, इच्छाएँ मुझे धर्म में नहीं जाने देतीं।
तो मरने के बाद दिल में अल्लाह का प्यार और फरमाबरदारी नहीं आएगी। मैं ही रहूँगा!!!!!!

कोई कितने भी साल जिए, ज्यादा से ज्यादा एक दिन ही लगता है। बस एक दिन!!!!!

क्या मैं इस एक दिन के लिए अल्लाह को नाराज़ कर दूंगा? एक दिन मैं अल्लाह को नहीं दे सकता?
मैं यह एक दिन का जीवन प्रभु को चाहने के बदले चाहकर व्यतीत नहीं कर सकता।

दिन के हिस्से के रूप में जीवन के लिए परलोक का त्याग न करें !!!

  • 🪷 इस खुशी के लिए प्रयास करें कि जब आप धन्यवाद दें कि आपने इस एक दिन के जीवन में प्रभु को संतुष्ट किया है।*
    और अपने आप को इस अफ़सोस और अफ़सोस से बचा लो कि मैंने इस छोटे से तुच्छ जीवन के लिए यह सजा खरीदी है !!!!

    अपने पूरे दिन की समीक्षा करें।
    मैं कितने घंटे से ऐसी चीज़ें कर रहा हूँ जो यहाँ रहने के लिए हैं?
    और अल्लाह के सवाब के लिए कितने घंटे की मेहनत बचाई जा रही है।

बाथरूम जाने के लिए दुनिया को एक आवश्यकता के रूप में सोचें। लेकिन मनुष्य वहां दिन का सबसे अच्छा समय नहीं बिताएंगे।
इसी तरह, अपना सर्वश्रेष्ठ समय बर्बाद मत करो। दुनिया से उतना ही लो, जितना यहां रहने के लिए जरूरी है।

  • और जितनी शांति, विलासिता, आराम और खुशी आप हमेशा के लिए चाहते हैं। परलोक के लिए ऐसा ही पुरुषार्थ करो।*
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