माहे रमजान की फजिलत ।

in powerclub •  9 months ago 

अन अबी हुरैराता रजि अल्लाहु अन्हो,अन्ना रसूल सल्ललाहु आलैही व सल्लम :
मन कमा रामाजाना ईमानन वा एहतेसाबन गुफिरा लहू मा तकद्दामा मिन जम्बीही
(मुत्ताफाकुन अलै)
अन अबी हुरैराता रजि अल्लाहु अन्हु से रवायत है,की अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: जीस ने ईमान के साथ और सावाब की उम्मीद रख्ते हुये रमजान मे कियाम किया उसके पिछले सारे गुन्हा माफ कर दिये जाते हैं।
(बुखारी 37-मुस्लिम -759)
रमजान के कियमुल्लैयल का मतलब नमाजे तरवि का एहतेमाम करना।
पूरे रमजान मुबारक़ की नमाजे तरवि अदा करने से गुजस्ता तमाम सगीरा गुन्हा माफ हो जाते हैं, कबीरा गुन्हों की मफि के लिए तोबा जरूरी है।
हम लोगों को रमजान मे ही सिर्फ अल्लाह तो इबादत नही करनी चाहिये, बल्कि रमजान के बाद भी अल्लाह की इबादत करनी चाहिये, कुरआन की तिलावत करनी चाहिये।
क्युकी अल्लाह ताला रमजान मे भी था और अभी भी मौजूद है।

अल्लाह ताला से दुआ है की, तमाम मुसलमानों को अल्लाह ताला की इबादत करने की तौफ़ीक दे (आमीन)

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