समाज के निर्माण में शिक्षा की भूमिका।

in hindi •  3 years ago 

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समाज के निर्माण में शिक्षक की भूमिका।

शिक्षा, समाज और शिक्षक तीनों ऐसे शब्द हैं की इनमें से प्रत्येक को एक दूसरे से अलग करके किसी भी प्रकार की उन्नति व प्रगति के बारे में अगर सोचा जाए ,तो शायद सोचना केवल सोचना ही होगा। क्योंकि इन तीनों को विकास व निर्माण का आधार माना जाता है। भारतीय भाषा संस्कृत का एक महत्वपूर्ण सुत्र है। तमसो ज्योति , जिसका अर्थ है अंधकार से उजाले की ओर जाना, इस प्रक्रिया को वास्तविक आर्थो को पूरा करने के लिए विशेषता: शिक्षा और शिक्षक की अत्यंत आवश्यकता होती है ।जिन दोनों के स्रोतों से यह सब अंधकार से घेरा हुआ समाज सभ्य व प्रकाशमान होता है । यही कारण है कि एक शिक्षक को समाज व राष्ट्र निर्माता की उपाधि दी जाती है ,जो वास्तव में समाज का दर्पण और समाज का शिल्पकार है, जिस का महत्व व प्रतिष्ठा अपना स्थान पर स्वीकृत है ,जो अपनी सख्त ज्ञान से समाज में उच्च आदर्श स्थापित करता है । समाज को सांस्कृतिक, आर्थिक ,शैक्षणिक हर दृष्टिकोण से आगे बढ़ाता है ।इस प्रकार समाज को सभ्यता व सुशीलता के पथ पर लाता है।समाज वासियों को विनम्रता कुशलता और योग्यता प्रदान करता है। शिक्षक के इन्हीं महत्वपूर्ण कार्यों को देखते हुए महर्षि अरविंद ने एक बार कहा था कि शिक्षक राष्ट्र की संस्कृति के चतुर माली होते हैं। वह संस्कारों के जड़ों में खाद देते हैं और श्रम से सींच कर उन्हें शक्ति प्रदान करते हैं ।शायरे ए मशरिक अल्लामा इकबाल ने शिक्षकों के समाज निर्माण की भूमिकाओं का वर्णन करते हुए कहा था कि शिक्षक किसी भी राष्ट्र के संरक्षक है, जिनका दायित्व भविष्य में आने वाली पीढ़ियों को सभ्य सुशील बनाना और देश की सेवा योग्य बनाना है।
प्रिय पाठकों: इन दोनों महान व्यक्तियों के इन पुर वर्णित कथनों से आप अनुमान लगा सकते हैं कि एक शिक्षक का समाज निर्माण में क्या भूमिका होता है। वाह अपनी दक्षता एवं व्यवहार से यह असभ्य समाज को सभ्य समाज बनाता है। समाज से हर प्रकार की बुराइयों का उप संहार करके समाज को अच्छाइयों के रंग में परिवर्तित कर देता है। वहां बेईमानी दुष्कर्म दुराचार दुर्व्यवहार दुबे मसानी और विश्वासघात की परिधि पर शिष्टाचार इमानदारी सदस्य सद्भाव न्याय धरोहर और मैत्री का बीज बोता है। जिससे समाज उन्नति एवं प्रगति के फसल में लहलहा उठता है। ऐतिहासिक पुस्तकों में अनेकों ऐसे उदाहरण मिलते हैं जो शिक्षक की आचरण समाज के निर्माण की दिशा में भूमिकाओं को प्रमाणित करती है ।उनमें से कुछ का वर्णन निम्नलिखित है:

  1. आज से लगभग 15 वर्ष पूर्व जहिलियत के उस युग की कल्पना कीजिए जहां के लोग भिन्न-भिन्न सामाजिक व नैतिक बुराइयों जैसे बात बात में लड़ाई झगड़ा 24 व अपशब्द भ्रष्टाचार व अत्याचार आदि से पीड़ित है जिनका समाज पूर्ण रूप से शब्द हो चुका था सुधार का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था वैसी स्थिति में जिस व्यक्ति ने के समाज को सुधार कर एक सही समाज का निर्माण किया वह कोई और नहीं बल्कि अल्लाह के अंतिम संदेश ट मोहम्मद ही थे जो निसंदेह एक शिक्षक थे स्वयं आप ही का कथन है कि इस संसार में भेजने का मूल उद्देश्य बुराइयों का उप संहार कर अच्छाइयों को समाज में स्थापित करना था। 1) सोने की चिड़िया कहा जाने वाला देश भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद जन 11 नवंबर 1888 मृत्यु 12 फरवरी 1959 के जीवन और कृति पर से मालूम होता है कि आपने भी एक शिक्षक होने के नाते देश व समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और यही कारण है कि आपका विचार शिक्षा और शिक्षक के संबंध अत्यंत स्पष्ट है और वर्णन के योग्य हैं इनका कहना है कि शिक्षा का यज्ञ उद्देश्य रोटी और खाना कमाना नहीं बल्कि शिक्षा से मानव निर्माण व समाज का काम भी लिया जाता है और यह कार्य शिक्षक के अलावा कोई भी व्यक्ति अच्छे ढंग से नहीं कर सकता इस तरह शिक्षकों की भूमिका समाज के निर्माण में अहम है।
  2. डॉक्टर जाकिर हुसैन जो एक शिक्षक विशेषज्ञ थे और हिंदुस्तान के राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति रह चुके थे उनका भी जीवन रहस्य एक शिक्षक के थे समाज निर्माण में ही बिता डॉ जाकिर हुसैन सत्र 1928 से 1948 तक भारत के 1 प्रमुख विश्वविद्यालय जामिया मिलिया इस्लामिया दिल्ली में शिक्षक के पद पर राष्ट्र के बच्चों को शिक्षा देते रहे और समाज की स्थापना में अपनी भूमिका का निर्वहन करते रहे ।वह कहा करते थे। कि एक व्यक्ति की शिक्षा शिक्षा नहीं है बल्कि वास्तविक चीज समाज है इस वाक्य से शिक्षक की श्रेष्ठ और समाज निर्माण की दिशा में भूमि का अनुमान लगाया जा सकता है।
    यही कि नहीं बल्कि इनके अतिरिक्त हिंदुस्तान के अनेक योग्य व कुशल व्यक्ति ऐसे हैं जो शिक्षक होने के नाते समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निर्मित किए हुए हैं। इस कर्म में विशेष तौर से हिंदुस्तान के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद भारत के कानून मंत्री जनाब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर आगे-आगे थे।
    पता आज आवश्यकता इस बात की है की शिक्षक अपनी वास्तविकता को समझें अपने श्रेष्ठा को ध्यान में रखें समाज व राष्ट्र की उन्नति के लिए सदैव तत्पर रहें शिक्षा की दिशा में सदा प्रयत्नशील रहे और सी एल लेविस के इस कथन यह आधुनिक समाज शिक्षक का काम जंगलों का काटना नहीं बल्कि रेगिस्थान को सीखना है को दृष्टि के सक्षम रखें क्योंकि यह सत्य है। Education is the most powerful weapon which you can use to change the world. ज्ञान वह सबसे शक्तिशाली हथियार है जिससे आप पूरी दुनिया बदल सकते हैं।
    2 सैयद अहमद खान के कथन अनुसार we can't progress if our children are not educated. हम उस वक्त तक विकास नहीं कर सकते जब तक के हमारे बच्चे शिक्षित ना हो।
    3 जैसा कि एक वरिष्ठ विद्वान ने शिक्षा के महत्व को स्पष्ट करते हुए कहा है"
    Education is not a way to escape poverty but it is a way of fiting it"शिक्षा गरीबी से बचने का नाम नहीं बल्कि गरीबी से लड़ने का नाम है।
    4, अंग्रेजी का प्रसिद्ध मुहावरा है without education life is suffocation. बिना शिक्षा के जीवन बिल्कुल अधूरी है। Thank you everyone.
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