इस्लाम एक प्राकृतिक धर्म है यह मानव जाति के संपूर्ण जीवन का मार्गदर्शन करता है इसमें समाज कल्याण और उच्च स्तरीय जीवन के लिए अनेक सुझाव दिए हैं, जिसमें एक स्वच्छता भी है। इस्लाम में प्रतिदिन पांच वक्त की नमाज अनिवार्य की गई है और नमाज स्वच्छता और सफाई के बिना अदा नहीं होती स्वच्छता और सफाई को इस्लामी परिभाषा में टहरत कहते हैं। इसके तीन प्रकार हैं। 1 नंबर शारीरिक रूप से स्वस्थ होना वस्त्र का स्वस्थ होना स्थान का स्वच्छ होना।
जहां इस्लाम ने अपने अनुयायियों को अध्यात्मिक शुद्धता का आदेश दिया है, वहीं इस बात पर भी बल दिया है कि मुसलमान शारीरिक सफाई का ध्यान दें। अल्लाह ताला फरमाता है।"अल्लाह तौबा करने वालों और पवित्र रहने वालों को प्रिय रखता है इस्लाम में स्वच्छता और सफाई का जो महत्व है उसका अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है ,कि अल्लाह ने अंतिम पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम को अल्लाह ने जब लोगों के मार्गदर्शन के महत्वपूर्ण कार्य पर लगाया उस समय अल्लाह ने उन्हें जो आदेश दिया उनमें से एक आदेश सफाई और पवित्रता का भी था।
इस्लाम में जितनी इबादत है और धार्मिक कार्य हैं उनको अदा करने से पूर्व सफाई सुथरा ही अनिवार्य है ।पाक साफ हुए बगैर कोई इबादत अदा नहीं होती है और ना ही अल्लाह के निकट कुबूल होती है ।इस्लाम की इस विशेषता यह है कि इसमें केवल ऊपरी सफाई सुथरा ही पर ही नहीं बल दिया है बल्कि वास्तविक पवित्रता की अवधारणा भी पेश की है यह कहना ।अधिक उचित होगा कि इस्लाम ने अपने अनुयायियों को पवित्रता प्रदान की है।
व्यक्तिगत स्वच्छता के विषय में इस्लाम में पवित्रता और स्वच्छता पर विशेष बल दिया गया है निसंदेह हर समाज के धार्मिक विश्वास समाज के नागरिकों के स्वास्थ्य और स्वच्छता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस्लाम धर्म में आचरण की शुद्धता मानसिक एवं शारीरिक स्वच्छता को बहुत महत्व दिया गया है। कुरान में जगह-जगह इस बात से जुड़े नियमों का उल्लेख है।
पवित्रता पर बल:
इस्लाम का उदय रेगिस्तानी क्षेत्र में हुआ जहां जल की उपलब्धता वैसी नहीं थी जैसी कि हमारे देश में हैं अतः स्वच्छता संबंधी अनुष्ठानों को पूरा करने के लिए पाक नापाक की अवधारणा का उदय हुआ जिस प्रकार वैदिक संस्कृति में शारीरिक शुद्धता के लिए स्नान पर बल दिया गया है इसी प्रकार रेगिस्तानी क्षेत्र में प्रतिदिन सुबह उठते ही स्नान शायद सभी के लिए संभव ना रहा हो इसलिए वहां पर शुद्ध रहना अनिवार्य किया गया था शारीरिक शुद्धता प्राप्त करने के लिए इस्लाम में कई प्रक्रियाएं हैं जिनका नियम पूर्वक पालन करना होता है तहत प्राप्त करने के लिए अनेक प्रक्रियाएं हैं जिनके द्वारा शुद्ध हुआ जा सकता है। वजू, स्नान, स्तांजा, योन स्वच्छता से संबंधित नियम और दांत स्वच्छता से संबंधित नियम भारत के विषय में कुरान की बातें हैं।
इस्लाम ने पवित्रता हेतु प्राकृतिक कार्यों के करने का आदेश दिया है जो मानव प्रकृति के बिल्कुल अनुकूल है उदाहरण स्वरूप दातुन करना इस संबंध में अनुमानित 200 हदीसे आई है अल्लाह के संदेश हटाने फरमाया दातुन रखने से मुंह की सफाई होती है और अल्लाह की आज्ञाकारी प्राप्त होती है अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम वजू के समय दातुन करते नमाज के समय दातुन करते। घर में प्रवेश करने के बाद दातुन करते। सो कर उठते तो दातुन करते। यहां तक कि अपने जीवन में अंतिम क्षण भी दातुन किया। अपने फरमाया कि यदि मेरी उम्मत पर कठिन ना होता तो मैं उन्हें आदेश दे ताकि प्रत्येक वजू के साथ दातुन क्या करें और एक रिवायत में है कि हर नमाज के समय दातुन करने का आदेश देता है बुखारी व मुस्लिम।
या है इस्लाम की पवित्रता व स्वच्छता नियम जिससे इस बात का भली-भांति अनुभव होता है कि इस्लाम विश्वव्यापी धर्म है जहां अपने मानने वालों को शुद्धता व भारत के प्रति उदारता है।