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इस्लाम में महिला का दायित्व।
इस्लाम धर्म एक विश्वव्यापी धर्म है यह धर्म हमारा
सही मार्गदर्शन करता है इस्लाम धर्म सदा अपने मानने वालों को सुपर एवं अनुदेश की तरफ शीघ्र गामी रखने के लिए उस पर कुछ दायित्व लागू किया है।
यह स्पष्ट है कि दुनिया में जब जब अपने कर्तव्य से पलायन किया शांति के विरुद्ध कदम उठाया और अत्याचारी का साथ दिया अल्लाह ने उसको इस तरह अपमानित किया कि वह उदाहरण बन गया आज के युग में इस्लाम धर्म में महिलाओं पर जो दायित्व लागू किया है उनको अपना कर हम सफलता एवं विकास के मार्ग पर चल सकते हैं इस्लाम धर्म में जो दायित्व महिलाओं के प्रति लागू किया उनमें से कुछ आप पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।
(1) प्रतिष्ठा एवं सम्मान की रक्षा:
सम्मान एक ऐसा वस्तु है जिसके द्वारा मानव उस दुनिया में जीवित होता है अगर किसी राष्ट्र का सम्मान नाश हो जाए तो उस राष्ट्र एवं परिवार के 100 विमान व्यक्तित्व जीवित नहीं रहता बल्कि वह मृत्यु घोषित कर दिए जाते हैं। इसलिए एक युवा महिला की चिंता यह होनी चाहिए कि अगर मैं घर से बाहर निकली और किसी अपरिचित अपरिचित व्यक्ति ने देख लिया और उसकी आंखों में बेकार एवं पापा गया तो मेरा ही सम्मान नष्ट होगा और दुनिया में मेरी निंदा होगी परलोक में अल्लाह भी क्रोधित होगा मोहम्मद सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम की पत्नी के प्रति कहा जाता है कि वह रहस्य में इतनी सावधानी से रहती थी कि आंगन की तरफ दिशा करके ना बैठती बल्कि दीवारों की दिशा में मुख करके बस्ती ताकि किसी की नजर ना पड़ जाए अल्लाह ने महिलाओं के अंदर एक ऐसा आकर्षक गुण रखा है कि रोज ना चाहते हुए भी उसकी और उत्कृष्ट हो जाता है।
(2) रहस्य घर से निकलना:
आज के इस आधुनिक एवं उपद्रवा करी युग में मुस्लिम महिलाओं का कर्तव्य है कि वह अपने घरों से और रहस्य बाहर ना निकले और छुपे अंकों अपरिचित व्यक्ति से छुपा कर रखें क्योंकि दिल में दुष्ट सोच उसी समय जन्म लेता है जब महिलाएं बनाओ श्रृंगार के साथ घरों से निकलती है और अपरिचित व्यक्ति के सामने खुद को पेश करती है।
(3) पति के अनुपस्थिति में धन की रक्षा:
जब पति घर से बाहर हो तो पत्नी पर उत्तरदायित्व होता है कि वह अपने पति के धन एवं अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा करें क्योंकि अल्लाह ने अच्छी पत्नी होने की पहचान इन शब्दों में क्या है।
(4) यह बात सत्य है कि कोई भी समाज सफलता एवं विकास से अलैंगिक नहीं हो सकती परंतु यह कि वह समाज में बसने वाले व्यक्ति शिक्षा एवं प्रशिक्षण से वास्तविकता हो अपने बच्चों को शिक्षा एवं प्रशिक्षण देना माता-पिता का मुख्य कर्तव्य होता है बचपन में मां पर बहुत बढ़िया दायित्व होता है कि वह अपने बच्चों की अच्छी तरह प्रशिक्षण में ध्यान दें कार्य की मां का गोद प्रथम पाठशाला होता है।
(5) पति की सेविका एवं आदेश पालन होना:
अच्छी पत्नी वह होती है जो अपने पति के लिए शांति एवं विश्राम का आधार हो उसे अपने द्वारा किसी प्रकार का कष्ट ना दें अपने आप को पति का आदेश पालन एवं अधीनता बना देना लेकिन एक बात ध्यान में रहे कि जिस आदेश में अल्लाह और उसके नबी मोहम्मद सल्ला वाले सलाम की आज्ञा हो वह आदेश का पालन ना करें बल्कि अच्छी विधि से अपने पति का सुधार करें और उसे इस्लामी शिक्षा से सूचित कर और अपने चरित्र का प्रमाण दें नबी करीम सल्लल्लाहो वाले वसल्लम ने फरमाया उस महिला पर अल्लाह की कृपा हो जो खुद नमाज़ तहज्जुद के लिए उठे और अपने पति को ही उठाएं
अतः मैं अल्लाह से दुआ है कि सभी महिलाओं को अपने पति के आज्ञा पालन करने की क्षमता प्रदान करें।