मेरी पत्नी को सेक्स बहुत पसन्द है और वो है भी बहुत खूबसूरत. बचपन और बाद में स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई के दौरान कर कुछ सेक्सी हरकत कर लेती रही, पर अपने अन्दर पनप रही कामाग्नि को खुल कर कभी हवा न दे सकी. बस कुछ शर्मा जाती. शादी के कुछ वर्ष वही हुआ … पति पत्नी के बीच दकियानूसी सा सेक्स होता. मैंने सोचा कि यह उसके अन्दर की कामकुता की भावना और उसके औरतपन के साथ नाइन्साफ़ी है.
मैंने तय किया कि अगर मैं उसको सच्चा प्यार करता हूँ तो उसके अन्दर सेक्स की प्यास कुदरत की बनाई सबसे आनन्दपूर्वक मैथुन क्रिया करने का ही प्रयास करूँगा. बस मेरा प्लान बन गया.
मैं एक भारतीय हूँ, इंग्लैण्ड में अपनी पत्नी संग रहता हूँ, एक संस्थान में शिक्षक हूँ.
मैं कुछ दिन से अपनी वाइफ यूं ही छेड़ रहा था और जब भी वो सेक्स करने को कहती तो कुछ बहाना बना देता.
बस उसके अन्दर सेक्स की आग जलने लगी थी. मुझे मालूम था कि वह अब ज्यादा दिन बिना सेक्स के नहीं रह पाएगी. आते जाते मैं उसकी चूची को छू देता या मसल देता, तो वो एकदम तन जाती. वो भी मौका मिलते मेरे पैन्ट के आगे हाथ लगाकर मेरे लंड को महसूस कर लेती.
एक शाम मैंने अपने कुछ दोस्तों को खाने पर बुलाया तो वो खूब आगे को झुक कर उनको परोस रही थी. वो जानबूझ कर इस कदर झुक रही थी कि उसके गोल गोल उरोज कभी उनके कंधों को तो कभी उनकी बांहों को छू जाते और मेरे दोस्त भी कम हरामी न थे, कोई भाभी की पायल की तारीफ़ करता तो कोई भाभी की बालियों की, कोई साड़ी की तारीफ कर रहा था, पर असल में अन्दर ही अन्दर मेरी हसीन और कामकु बीवी को नंगी कर उसके छुपे हुए हुस्न का अन्दाज लगा रहे थे. कोई उसकी पायल के ऊपर नंगी जांघों के बीच भगोष्ठ का नक्शा बना रहा था तो कोई उसके उभरे नितम्बों की गोलाई का, तो कोई उसके उरोज पर तने चूचुकों का मजा ले रहा था. ये सब देख कर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
उस रात जब वो नाइटी पहनने लगी, तो उसकी उतारी हुई चड्डी पर साफ़ साफ़ चूत रस के चिपचिपे दाग लगे नजर आये. उसके भगोष्ठ से उसका यौवन रस टपकने लगा था. कामाग्नि के शोले भभकने लगे थे. लोहा अब तप्त हो चुका था. बस सही हथौड़ा बजाने का वक़्त था.
अगली शाम जब मैं ऑफिस से लौटा, तो बेचारी प्यार की गर्मी से तप रही थी. मेरे पास आते ही वो वहीं सीढ़ियों पर झुक गई और अपनी स्कर्ट पीछे से उठाती हुई बोली कि प्लीज आज मुझे यह दे दो.
उसकी स्कर्ट के नीचे चड्डी नहीं दिख रही थी और जैसे ही मैंने उसके नितम्ब छुए, वह एकदम से झनझना गई. उसके चूतड़ की गोलाइयों की दरार के बीच ऊंगली सरका कर उसकी मुलायम लज़्ज़तदार चूत को महसूस किया.. तो वो लबालब यौवन रस बहा रही थी.
मैंने अपने लंड का सुपारा उसके यौवन द्वार पर रखा, तो वह सिहर कर बोली- हाय बस.. जल्दी से डाल दो ना.. चुदवाने को बहुत जी कर रहा है.
आगे झुकी हुई औरत की नंगी रसभरी चूत एक शानदार दृश्य है, जिसमें इस दुनिया को चलाने वाली प्रकृति की शक्ति का स्पष्ट रूपांतर है. आज मैं इसी शक्ति की पूजा करने वाला था. आज हमेशा की तरह स्त्री मर्द के यौवनांगों के मैथुन घर्षण मात्र से कोई काम नहीं चलने वाला था. आज तो काम की ज्वाला अपने चरम पर थी.
लेकिन मैंने योजना के मुताबिक़ सोचा और तुरंत पीछे हटकर बोला- ओह, मुझे कॉलेज में अपने एक स्टूडेंट को मिलने जाना था.. मैं भूल गया.
वो बेचारी तकरीबन गिड़गिड़ाती सी बोली- प्लीज मुझे ये दे दो ना अभी… मिलने फिर कभी चले जाना.
मैंने आश्वासन देते कहा- नहीं डियर, जाना होगा, ये जरूरी है.. तुम भी साथ चलो. फिर पूरी रात है हमारे पास … बहुत मज़ा करेंगे।
वो जल्दी ही मान गई क्योंकि वो चुदाई की चाहत में वशीभूत हो चुकी थी. वो मेरे साथ चल पड़ी.
गाड़ी में शायद जल्दी में या जानबूझ कर वो स्कर्ट के नीचे चड्डी डालना भूल गई.
कार में मैंने उसके अन्दर भभक रही कामाग्नि को और भी हवा दी- अरे मेरे दोस्त कल तेरी बहुत सराहना कर रहे थे.
वो- हां एक को पायल अच्छी लगी, एक को गले का हार और एक साड़ी की तारीफ कर रहा था.
मैंने छेड़ते हुए कहा- अरी पगली, वो तो तेरे अन्दर छुपी हुई सुंदरता की तारीफ कर रहे थे. वे मर्द सोच रहे थे कि तेरी चोली के पीछे क्या है, उन पायल के ऊपर तेरी जाँघों के बीच में क्या है.
यह सुन उसने अपनी दोनों टांगें यूं दबा लीं, जैसे कोई सुसु रोकने के वक़्त करता है. जाहिर है कि उस समय उसके भगान्कुर का दाना कुलबुला गया था और शायद यौवन रस भी टपक गया होगा.
मैंने उसे और उकसाते हुए कहा- तुमको भी अच्छा लग रहा था, तुम्हारी उत्तेजना देख कर वे लोग भी उत्तेजित हो रहे थे.
वो अपने किये पर पर्दा डालने वाले अंदाज में बोली- शायद.. पर मुझे क्या मालूम.
मैं- जैसे मेरी पैंट के आगे हाथ लगाती हो, वैसे उनके लगाकर देखना तो पता चल जायेगा कि तुम उन पर क्या जादू चला देती हो.
मुझे लगा कि वो अपने अन्दर बोल रही थी कि काश वो दूसरे मदों का लंड भी छू सकती, पर वो जरा सा हूँ कहकर खामोश हो गई.
मैंने सुझाव दिया- यह मर्द और औरत के बीच स्वाभाविक आकर्षण की क्रिया है.
वो अचानक बोली- हां.. मैं भी तो आखिर एक इंसान ही हूँ.
मेरा तीर निशाने पे लगा और मैंने आगे समझाते हुए कहा- यह आकर्षण स्वाभाविक है. यही तो शिव और शक्ति के मिलन का आधार है. यही तो कृष्ण और राधा के रास का सार है. अगर यह ना हो तो यह संसार भी नहीं होगा. प्रकृति के अंश अंश में यह संभोग क्रिया है. इसी से प्रजजन सम्भव है और प्रकृति का परिचालन भी इसी से होता है.
वो बस मुझे मन्त्रमुग्ध सी सुने जा रही थी.
मैं बोलता गया- इस शक्ति को बस सेक्स समझ कर दबा देना उचित नहीं है. इसको दबाना नहीं चाहिए बल्कि समझना चाहिए. चूत और लंड को गंदे अंग मत समझो.. बल्कि उनकी पूजा करो. यह शक्ति के केंद्र हैं. इनकी उत्तेजना में शर्म नहीं, बल्कि गर्व करो. अपने अन्दर उठ रही शक्ति को दबाओ नहीं, बल्कि उसका सम्मान करो.. उसका उपयोग करो. इसको समझो और प्यार करो और अच्छा महसूस करो.
उसका बदन तो पहले से ही कामाग्नि से धधक रहा था, पर अब उसके दिलो दिमाग से भी सही दिशा मिलनी शुरू हो रही थी. सेक्स की उत्तजेना अब उसको और भी मीठी लगने लगी थी. दूसरे मदों के लंड के विचार से अब उसके अन्दर शर्म की जगह प्यार और पूजा की प्राकृतिक भावना उठ रही थी.
बातों बातों में हम उस लड़के के हॉस्टल पहुंच गए. उसका नाम स्टीव था. वह छह फुट लम्बा, सुन्दर नौजवान अंग्रेज लड़का था, जिसको मैंने तन्त्र योग के बारे में समझा रखा था. वो बहुत खुले विचार वाला समझदार लड़का था, जो अपने अन्दर उठती यौन शक्ति का सही इस्तेमाल करके दूसरों को और अपने को शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक सुख देता था.
मुझसे तन्त्र योग की बातें सुन कर वो जान गया कि जो वो कर रहा था, वो और कुछ नहीं पर तन्त्र योग ही था. मैंने उसको अपनी सुन्दर कामासक्त बीवी के बारे में पहले ही समझा दिया था.
योजना के अनुसार जब हम वहां पहुंचे तो वो कम्प्यूटर पर ब्लू फिल्म देख रहा था. उसने कंप्यटूर एक तरफ को किया और फिल्म चलने दी. किसी को फोन करके उसने हमारे लिए चाय पानी का आर्डर कर दिया.
मैंने धीरे से हिंदी में अपनी बीवी को बोला- ये फिल्म देख अपने को उत्तेजित कर रहा था, देखो इसकी पैन्ट की ओर.. लगता है, वहां कोई बड़ी चीज छुपी है.
बीवी का चेहरा गुलाबी सा होने लगा उसकी आखें मचलने लगीं.
स्टीव ने कहा- आप बैठिये, मैं जरा शावर लेकर आता हूँ.
वो वाशरूम में घुस गया, पर उसने दरवाजा खुला ही छोड़ दिया. बीवी को ये अजीब सा लगा, पर मैंने कह दिया कि ये अकेला रहता है ना, सो आदत नहीं होगी.
उसके जाने की देर थी कि मैंने बीवी को जोर से चूम लिया और हाथ बड़ा कर उसकी बुर को सहला दिया, जो बेचारी कब से एक लौड़े के लिए दम तोड़े चुचा रही थी.. बेतहाशा गर्म और गीली थी.
उधर शावर के नीचे वो लड़का नंगा खड़ा नहा रहा था. मैंने देखा कि मेरी बीवी की नजरें उस ओर ही थीं और मैंने उसको सुझाव दे दिया कि चलो एक नजर देखते हैं.
जब चुपके से अन्दर देखा तो उस नौजवान गोरे छोकरे को अपना लौड़ा पकड़े देखा. यह देख मेरी बीवी पे क्या बीती होगी, वो तो वो ही जाने.. पर मैंने देखा कि मेरी बीवी की सांसें फूल रही थीं. उसकी छातियां ऊपर नीचे हो रही थीं और उसके चुचे तन कर ब्लाउज को फाड़ बाहर निकलना चाहते थे. वो लड़का जानबूझ कर अपने लौड़े पे साबुन मल रहा था.
तकरीबन नौ इंच का गोरा गुलाबी रंग का लंड देख कर मेरी बीवी की चूत का वो हाल हो रहा था, जैसे किसी मरुस्थल के प्यासे का हाल कुएं के पास हो जाता है. पर वो कैसे प्यास बुझाती, वो तो शर्मा रही थी.
स्टीव ने शावर करके एक खुला गाउन पहना और आकर मेरी बीवी के सामने वाली कुर्सी पे बैठ गया. स्टीव बड़े इत्मीनान से बातें कर रहा था, पर बीवी के माथे पर पसीने की बूँदें झलक रही थीं. इसलिए कि जब जब स्टीव अपनी टांगें जरा सी खोलता, तो उसका सुन्दर गोरा लंड बीवी को नजर आ जाता. बीवी बेचारी लंड के लिए बेताब हुई जा रही थी. उस पर कितना जुल्म ढह रहा था. एक तरफ अन्दर की बेतोड़ चाहत और दूसरी और बाहर की दुनिया की लादी हुई शर्मो हया.. साफ़ जाहिर था कि यह दूरी उससे ज्यादा देर तक नहीं सही जा सकती थी. अब मुझे ही इसका कुछ उपाय करना होगा.
मैं उसकी कुर्सी के पीछे खड़ा हो गया और उसके कंधे दबाने लगा और धीरे से उसके ब्लाउज का ऊपर का बटन खोलने की कोशिश की, पर उसने संकोचवश मेरा हाथ हटा दिया.
मैंने कहा- स्टीव अच्छी तन्त्र मालिश जानता है.
पर उसके मुँह से ‘हूँ…’ के सिवाए कुछ न निकला.
मेरे इशारे पर स्टीव ने झुक कर उसके एक पाँव को अपनी गोद में रखा और टांग पे हाथ फेरने लगा, पर बीवी एकदम से कुर्सी से उठने लगी. मैंने न केवल उसको अपने हाथ के दबाव से नीचे ही बैठे रहने दिया, बल्कि फुर्ती से उसके दोनों हाथ कुर्सी से बांध दिए.
वो घबरा सी गयी- छोड़ो मुझे.. यह क्या है.
मैं बोला- यह वो है, जो तुम अन्दर से चाहती हो.. पर कर नहीं पा रही हो.
हाथ तो उसके बंधे ही थे, मैंने और स्टीव ने उसकी एक एक टांग भी पकड़ ली और उनको भी कुर्सी से बांध दिया. वो छटपटाने लगी और बोली- मुझे शर्म आती है, चलो घर चलो.
यह सब तो वो ऊपर से कह रही थी, पर नीचे से उसकी चूत से रस की बूंदें टपक रही थीं. आज उसकी और मेरी अन्दरूनी इच्छा पूरी होने वाली थी. मेरा भी मन करता था कि उसकी सुन्दर चूत के गुलाब के फूल की सी मुलायम पंखुड़ियों जैसे होंठ खोल कर दूसरे मर्द का कड़क लंड घुसवा कर देखूं और अपनी बीवी को चुदता देखूं.
मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए. अगले ही पल उसके उरोज उछल कर बाहर निकले. मेरी बीवी के मस्त मम्मों को नंगा देख कर वो अंग्रेज लड़का एकदम पगला गया. उसने कभी किसी हिन्दुस्तानी औरत के इतने सुन्दर मम्मे नहीं देखे थे.
मैंने स्टीव से मम्मों को चूसने को कहा और खुद भी एक चूची को चूसने लग गया.. क्योंकि मुझे मालूम था कि अगर एक चूची चुसवा कर वो पागल हो जाती है, तो एक साथ दोनों मम्मे चुसवा कर वो तो आनन्द विभोर हो जाएगी.
मम्मों की चुसाई शुरू हुई, तो अब तक ना ना करने वाली, अब मस्ती में आ आह आह करने लगी. स्टीव का हाथ उसकी टांगों पर फिसलता हुआ उसकी चूत तक पहुंच गया. मैंने अब बीवी के हाथ और पांव सब खोल दिए. अब वो अपने उन बंधनों से मुक्त हो चुकी थी.
हम दोनों भी पूरे नंगे हो चुके थे. बीवी भी मस्ती में आ चुकी थी. वो अपने हाथ से अपने मम्मे को स्टीव और मेरे मुँह में चुसवाने के लिए दिए जा रही थी.
अब हम दोनों ने बीवी को उठा कर बिस्तर पे लिटा दिया और एक एक कर उसके सारे कपड़े उतार कर उसके मदहोश हो रहे नंगे बदन को सर से लेकर पांव तक चूमना चालू कर दिया.
चूमते चूमते हम दोनों अपने लंड उसकी चूचियों पे रगड़ रहे थे और इसी तरह हम दोनों अपने लंड उसके मुँह के पास ले आए. मुझे लगा था कि बीवी को लंड चूसना इतना पसंद है कि वो अब लंड चुसाई का पूरा मज़ा लेगी, लेकिन उसने अपने होंठ बंद कर लिए. मतलब वो ही शर्म अभी भी सामने थी. जबकि दूध चुसवाते समय मुझे लगा था कि ये खुल कर मजा लेने को तैयार हो गई है.
लेकिन अब जाहिर था कि मुझे उसको इस शर्म के दायरे से बाहर निकालने के लिए अभी और उत्तेजित करना होगा. मैंने उसकी फैली टांगों के बीच अपना मुँह रखा और उसके चूत के दाने को चूसने लगा. वो जोर जोर से उफ्फ उफ्फ करके अपने कूल्हों को हवा में उछालने लगी. मैंने जब ऊपर देखा तो हैरान रह गया.
बीवी ने दोनों हाथों से स्टीव के टनटनाते लंड को पकड़ा और सीधे अपने मुँह में ले लिया था. उसकी लिपस्टिक का लाल रंग स्टीव के गोरे लंड पे लग रहा था और वो बेतहाशा लंड को चूस रही थी. मेरी बीवी कोशिश कर रही थी कि स्टीव का पूरा का पूरा लंड उसके मुँह में समा जाए.
इधर मैंने उसकी चूत में लंड का प्रवेश कर दिया और लगा धमाधम धक्के लगाने. अपनी शर्मदार बीवी को इस तरह दूसरे मर्द का लंड चूसते देख मेरी उत्तजेना चरम शिखर पर पहुंच गई और मेरा वीर्य स्खलन हो गया. पर मैंने देखा उसको अब भी और चुदना था. मैंने स्टीव को कहा- आ जा, मेरी बीवी की फूल जैसी चूत को स्वीकार कर और अपने लंड से इसका भेदन कर.
यह सुन बीवी फिर से बोली- नहीं नहीं … बस बहुत हो गया.
मैंने कहा- चलो ठीक है, पर जरा एक नजर ध्यान से स्टीव के लंड को तो देखो जिसे तुमने चूस चूस कर लाल कर दिया है. इसकी पूजा हमको करनी होगी. भगवान ने तेरी चूत लंड पूजने के लिए ही बनाई है. यह सम्भोग ही तुम्हें समाधि तक ले जायेगा. अब शर्म करने का वक़्त नहीं है.
उसने ना ना कही, ना हामी भरी, बस अपनी दोनों टांगें फैला दीं और अपने हाथों से अपनी चूत की पंखुड़ियों को खोल कर साफ करने लगी. बिल्कुल जैसे कोई भक्तन अपने मंदिर का द्वार साफ़ करती है.
उसने स्टीव के महाकाय लंड को पकड़ कर अपनी यौवन द्वार पे रखा. उसका बदन ऐसे सिहर रहा था, जैसे कोई तरंग सी बह रही हो. उसके कांपते होंठ खुले और वो अंग्रेजी में बोली- प्लीज, मेरी चूत का भेदन करो प्लीज.. मेरी इस यौवन की देहरी पे अपना अमतृ बरसा के इसकी प्यास बुझा दो.
मेरे इशारे पे स्टीव ने एक झटके से अपना पूरा का पूरा नौ इंच का हथियार मेरी बीवी की चिलमिलाती चूत में घुसा दिया.
आह.. गजब का दृश्य था. मेरी पत्नी के होंठों से एक मीठी सी वो चीख निकली, जो बरसों पहले मैंने अपनी सुहागरात पे सुनी थी.
स्पष्ट था कि यह मेरी बीवी के लिए एक बहुत ही सुखदायी और रोमांचकारी लम्हा था. जब एक ताजा जवान शक्ति से भरपूर लंड उसके यौवन दवार को खोलता हुआ मज़ेदार घर्षण करता हुआ उसके अन्दर की औरत को जगा रहा था. वो अब बहुत मस्त होकर दुनिया और शर्म से गाफिल होकर अपनी चिकनी टांगों से उस जवान गोरे लड़के को लपेट कर चुदवा रही थी. इतने कड़क और मोटे लम्बे लौड़े से वो पहली बार ही तो चुदी थी. वो तो ऐसे मदमस्त हुए जा रही थी जैसे कि पहली बार शराब का नशा किया हो.
अपने प्यार को इतना सुखदायी प्यार मिलते देख मैं भी मस्त हुए जा रहा था.