ऋचा शर्मा (जन्म 29 अगस्त 1974) एक भारतीय फिल्म पार्श्व गायिका होने के साथ-साथ एक भक्ति गायिका भी हैं। 2006 में, उन्होंने फिल्म बाबुल (2006) में बॉलीवुड का सबसे लंबा ट्रैक, बिदाई गीत गाया। पंडित आस्करन शर्मा के संरक्षण में, ऋचा ने भारतीय शास्त्रीय और हल्के संगीत का उचित प्रशिक्षण प्राप्त किया। ऋचा ने ग़ज़लें जोड़ीं; फिल्मी गीत, पंजाबी और राजस्थानी लोक गीत उनके प्रदर्शनों की सूची में, इस प्रकार उनकी आवाज विभिन्न ध्वनियों में अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचती है।
सुशील भाटिया, फरीदाबाद। सौ बरस के भारतीय सिनेमा के संगीत फलक को फरीदाबाद के एनआइटी में 1972 में जन्मी मंदिर के पुजारी पं. दयाशंकर उपाध्याय की बेटी ऋचा शर्मा ने अपनी खनकती आवाज से नई ऊंचाइयां दी हैं। ऋचा के कानों में जन्म से ही भक्ति संगीत के स्वर पड़ने लगे थे। जब वह आठ बरस की थीं, तब उन्होंने एक धार्मिक मंच पर पहली बार भजन गाया। ऋचा ने एक भेंट में बताया कि छोटी उम्र में ही दिल्ली व आसपास के क्षेत्र में भजन संध्या, माता की चौकी, जागरण में भजन गाने पर खूब प्रसिद्धि मिली। फिर ऋचा की आवाज को पं. आसकरन शर्मा ने भारतीय शास्त्रीय एवं सुगम संगीत का विधिवत प्रशिक्षण देकर निखारा। ऋचा की आवाज पसंद की जाने लगी, तो पढ़ाई बीच में छोड़ बिना किसी सहारे के संगीत की दुनिया में पहचान बनाने के लिए 1994 में मुंबई पहुंची।
रोहित शेट्टी की सिंघम, वन एंड ओनली (साजिद वाजिद), पावर (आनंदराज आनंद), साथिया, जुबैदा (एआर रहमान), हेराफेरी (अनु मलिक), बागबां का शीर्षक गीत (आदेश श्रीवास्तव), ओम शांति ओम (विशाल शेखर) सहित पटियाला हाउस, माई नेम इज खान, उमराव जान, रुद्राक्ष, हंगामा, इंडियन, काल, मंगल पांडे द राइजिंग, आजा नचले फिल्मों में कई गीत गाए। ऋचा को 2003 में माही वे गीत के लिए सर्वश्रेष्ठ बालीवुड मूवी गायिका अवार्ड और 2011 में माई नेम इज खान के गीत सजदा के लिए ़जी सिने अवार्ड से नवाजा गया। स्वर साधना मंदिर की संगीत गुरु अंजु मुंजाल के अनुसार, ऋचा की आवाज में विविधता और स्वभाव में नम्रता है। खास बात यह है कि उसने बालीवुड में सफलता बिना किसी सहारे के अपनी मेहनत के बलबूते हासिल की। हमें गर्व है कि ऋचा फरीदाबाद में जन्मी है और भारतीय फिल्म संगीत के फलक पर अपनी आवाज का जादू बिखेर रही है।