कनेर के वृक्ष को आपने देखा ही होगा। कनेर के वृक्ष बाग-बगीचों, मंदिरों के आस-पास बहुत अधिक देखे जाते हैं। कनेर का वृक्ष पर फूलों से सालों पर भरा होता है। कई लोग कनेर के फूल को पूजा-पाठ के लिए भी उपयोग भी लाते हैं। क्या आप जानते हैं कि जिस कनेर के फूल को आप लोग पूजा-पाठ के लिए उपयोग में लाते हैं उसको औषधि के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है। क्या आपको पता है कि पीला कनेर (पीत करवीर) के फायदे से कई रोगों का इलाज किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, ह्रदय रोग, बुखार, रक्त-विकार आदि में पीला कनेर का उपाय करने पर लाभ मिलता है।कनेर के फूल कई रंग के होते हैं। सफेद कनेर, पीला कनेर और लाल (गुलाबी) कनेर। सफेद कनेर को देखकर जहां मन को शांति मिलती है तो वहीं लाल (गुलाबी) कनेर को देखकर ऐसा भ्रम होता है कि जैसे यह बसंत और सावन का मिलन हो।
कनेर की दो प्रजातियां पायी जाती हैं, सफेद और पीला कनेर और पीला कनेर की सफेद, पीला आदि फूलों के आधार पर कई प्रजातियां पायी जाती है। सभी प्रजातियों का एक ही वानस्पतिक नाम है। सफेद कुष्ठ की चिकित्सा के लिए सफेद फूल वाले कनेर का बहुतायत प्रयोग किया जाता है।पीला कनेर के औषधीय गुण से सिर दर्द का इलाज कनेर के फूल तथा आँवले को कांजी में पीस लें। इसे मस्तक पर लेप करने से सिर का दर्द ठीक होता है।सफेद कनेर के पीले पत्तों को सुखाकर महीन पीस लें। सिर के जिस तरफ दर्द हो रहा हो उस तरफ से नाक में एक दो बार सूंघें। इस छींक आएगी और सिर दर्द ठीक हो जाएगा।
पेट के रोग में करंज के सेवन से लाभ
करंज फलमज्जा (1-2 ग्राम) को भून लें। इसमें सेंधा नमक मिला लें। इसका सेवन करने से पेट के दर्द से आराम मिलता है।करंज के बीजों का छिलका उतार कर साफ कर लें। इसे थूहर के पत्तों के रस की भावना दें। इसके बाद इसे धूप में सुखाकर तेल (karanj tel) निकाल लें। इसका प्रयोग करने से पेट के फोड़े ठीक होते हैं।करंज बीज, सोंठ तथा वचा को करंज के काढ़ा में पीसकर लगाने से पेट के फोड़े ठीक होते हैं।
करंज के छिलका रहित बीज चूर्ण को सेहुण्ड के रस के साथ पीस लें। इसे लगाने से पेट के अंदर के फोड़े ठीक होते हैं।
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