दिमाग, हमारे शरीर के सभी कार्यों को नियंत्रित करता है। जैसे अब भूख लगी है, अब सोना है, अब आपको ख़ुशी महसूस हो रही है, अब दुःख आदि। यह एक प्राकृतिक क्रम है जो तब तक सुचारू रहता है जब तक कोई स्थिति बीच में आकर इसे असंतुलित नहीं करती। दिमाग के काम में असंतुलन कई वजहों से हो सकता है, कुछ में यह अस्थाई हो सकता है, जबकि कुछ में स्थायी भी। समय पर इलाज या काउंसिलिंग मिलने से ज्यादातर ऐसे असंतुलन नियंत्रण में आ सकते हैं लेकिन मुश्किल यह है कि हम दिमाग की ऐसी समस्याओं को अक्सर नजरअंदाज करते हैं।
बाइपोलर डिसऑर्डर, ऐसी ही एक मानसिक स्वास्थ्य की समस्या है जिसमें पीड़ित के व्यवहार में बेहद तीव्र परिवर्तन या मूड स्विंग्स दिखाई देते हैं। उदाहरण के लिए कभी अचानक बहुत खुश और प्रसन्नचित्त और कभी बेहद निराशा हो जाना। बाइपोलर डिसऑर्डर के ये मूड स्विंग्स पीड़ित के खाने, सोने, दिनभर की गतिविधियों, ऊर्जा के स्तर और व्यवहार सभी पर असर डालते हैं। व्यवहारगत परिवर्तन या मूड स्विंग्स के ये एपिसोड्स कई बार भी सामने आ सकते हैं। यह जीवनभर रहने वाली समस्या है, लेकिन दवाइयों और काउंसिलिंग के साथ इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य और भोजन का महत्व
किसी भी अन्य चिकित्सकीय समस्या की तरह ही मानसिक स्वास्थ्य की समस्या में भी भोजन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चूंकि शरीर के साथ-साथ दिमाग को भी सही और संतुलित पोषण की जरूरत होती है, इसलिए बाइपोलर डिसऑर्डर में भी सही डाइट जरूरी होती है। बाइपोलर डिसऑर्डर के रोगियों में वजन बढ़ने और उसकी वजह से होने वाली बीमारियों की स्थिति भी बन सकती है, इसलिए ऐसे रोगियों को आहार का विशेष ध्यान रखना चाहिए।इन चीजों से करें परहेजस्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक जिन लोगों को बाइपोलर डिसऑर्डर की समस्या हो उन्हें सैचुरेटेड फैट्स जैसे बटर, चीज, रेड मीट, ट्रांसफैट्स जैसे फ्रेंचफ्राइज़, समोसे, कचौरी, पकौड़े, केक, डोनट्स या चिप्स के साथ कार्बोहाइड्रेट्स यानी शुगर या प्रोसेस्ड फ़ूड के सेवन से परहेज करना चाहिए। इनका सेवन करें भी तो बहुत कम मात्रा में।