लेमनग्रास कैसे उगाए, लेमनग्रास का उपयोग और स्वास्थ्यवर्धक फायदे की जानकारी – इस पौधे की पत्तियों से नींबू जैसी सुगंध आती है, इसीलिए यह लेमनग्रास या नींबूघास कही जाती है। दुनिया में सबसे ज्यादा लेमनग्रास की खेती भारत में ही होती है।लेमनग्रास पतली-लंबी घास वाला पौधा है जोकि मूलतः भारत से ही दुनिया में फैला है। लेमन ग्रास का वैज्ञानिक नाम Cymbopogon है। लेमनग्रास का पौधा 2-5 फुट की ऊंचाई तक बढ़ सकता है। लेमनग्रास की पत्तियों, तने के आसवन (distillation) से सुगंधित तेल निकाला जाता है। इस तेल की खुशबू नींबू के जैसी होती है। लेमनग्रास की पहचान यह है कि इसकी पत्तियों को लेकर हाथ में मसलने पर नींबू जैसी महक (Citrus flavor) आएगी। इस पौधे पर फूल नहीं निकलते हैं।
लेमनग्रास की ताजी पत्ती या सूखी पत्ती से मिलने वाले लेमनग्रास पाउडर से लेमनग्रास टी, हर्बल चाय बनती है और सूप आदि डिश में भी डाला जाता है। लेमनग्रास टी पीना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। लेमनग्रास के नर्म तने का भी कई डिश बनाने में उपयोग होता है और भारत के नॉर्थ-ईस्ट प्रदेशों के भोजन में उपयोग होता है। लेमनग्रास आयल का उपयोग अगरबत्ती, साबुन, परफ्यूम, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट, अरोमा ऑयल बनाने में किया जाता है।यह पौधा लगाने के 4-6 महीने में पूरी तरह से बढ़ जाता है। एक बार लगाने के बाद करीब 5 साल तक इसकी कटाई करके पत्तियाँ उपयोग की जा सकती है। लेमनग्रास की पत्तियों को काटने के बाद उसके तने से फिर से नई पत्तियाँ निकलने लगती हैं। जमीन से कम से कम 10-15 सेंटीमीटर तना छोड़कर पत्तियाँ काटी जा सकती हैं।
आजकल लेमनग्रास की खेती का प्रचलन भारत में काफी बढ़ रहा है क्योंकि लेमनग्रास की खेती में बहुत देखभाल की जरूरत नहीं होती और लेमनग्रास आयल की अच्छी कीमत मिलती है। भारत में क्वालिटी के अनुसार लेमनग्रास ऑयल का प्राइस 1000-4000 रुपये प्रति लीटर हो सकता है। लेमनग्रास टी बनाने के 2 प्रचलित तरीके हैं, आप अपनी पसंद के अनुसार कोई भी तरीका अपना सकते हैं। लेमनग्रास टी बनाने के लिए लेमनग्रास की ताजी पत्तियाँ चाहिए, ताजी न मिले तो सूखी पत्तियाँ भी डाल सकते हैं लेकिन ताजी पत्तियों की चाय का फ्लेवर तेज और अधिक खुशबूदार होता है। ताजी पत्तियों को छोटे टुकड़े में तोड़कर डालें।