प्रो कबड्डी लीग (PKL 8) में दबंग दिल्ली ने खिताबी जीत दर्ज करते हुए इतिहास रचा। जोगिंदर नरवाल की कप्तानी में दिल्ली की टीम ने पहली बार PKL का खिताब जीता और उन्हीं की कप्तानी ने टीम ने लगातार दूसरा फाइनल भी खेला है। आपको बता दें कि दबंग दिल्ली की टीम ने तीन बार प्ले-ऑफ में जगह बनाई और हर बार उन्होंने जोगिंदर नरवाल की कप्तानी में ही यह कारनामा किया है।
यह दिखाता है कि कप्तान का रोल किसी भी टीम में कितना अहम होता है। अनूप कुमार भी PKL के पहले तीन सीजन में यू मुंबा को फाइनल तक लेकर गए। वो PKL के सबसे सफल कप्तानों में से एक हैं। इस सीजन कुछ कप्तान ऐसे रहे जिन्होंने पहली बार कप्तानी की, तो कुछ प्लेयर्स के पास पहले भी कप्तानी का अनुभव रहा है।
हालांकि कुछ कप्तानों ने काफी ज्यादा निराश किया और कुछ की टीम ने काफी ज्यादा निराश किया। इसी वजह से हम इस आर्टिकल में उन टीमों की बात करेंगे जिन्हें अपना कप्तान बदलने की सबसे ज्यादा जरूरत है।तेलुगु टाइटंस के लिए PKL 8 का सफर काफी ज्यादा निराशाजनक रहा है। उन्होंने सिर्फ जीत के लिए ही संघर्ष नहीं किया बल्कि टीम को कप्तान की कमी काफी ज्यादा खली। तेलुगु टाइटंस ने इस सीजन के लिए रोहित कुमार को कप्तान बनाया, लेकिन चोटिल होने के कारण वो ज्यादातर मुकाबले खेल नहीं पाए। इसके अलावा सिद्धार्थ देसाई, संदीप कंडोला और सुरिंदर सिंह ने भी टीम की कप्तानी की। हालांकि टीम की किस्मत नहीं बदली और वो सिर्फ एक जीत के साथ अंक तालिका में सबसे आखिरी स्थान पर रहे थे।
पुनेरी पलटन ने जरूर PKL 8 में प्ले-ऑफ तक का सफर तय किया, लेकिन वो कभी भी ऐसी टीम नजर नहीं आई जो खिताब जीतने की दावेदार नजर आई है। इसकी एक मुख्य वजह यह भी रही कि वो युवा खिलाड़ियों के ऊपर ज्यादा निर्भर करते थे। इसके अलावा टीम के कप्तान का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। नितिन तोमर ने हर मैच में सिर्फ खिलाड़ियों को संभालने का काम किया और बतौर खिलाड़ी उन्होंने काफी ज्यादा निराश किया। इसी वजह से अगले सीजन के लिए पुनेरी पलटन को ऐसे खिलाड़ी को कप्तान बनाना चाहिए जोकि रेडिंग या डिफेंस में अपना योगदान दे पाएं।
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