कपूर का ज्यादातर प्रयोग भगवान् की आरती में होता है। इसके अलावा कपूर आयुर्वेदिक दवा, तेल, सुगंध बनाने और कीड़े-मकोडो को दूर रखने में भी प्रयोग किया जाता है। दक्षिण भारत के कुछ भोजन में देसी कपूर (खाने वाला कपूर) का उपयोग किया जाता है।
देसी कपूर सिर दर्द, शरीर दर्द दूर करने वाले बाम, सर्दी-जुकाम की दवाओं और कफ सीरप, स्किन प्रॉब्लेम जैसे खुजली की कुछ क्रीम और बवासीर के इलाज की दवा आदि में कपूर का उपयोग होता है।घर के वातावरण को शुद्ध करने और पाज़िटिविटी लाने के लिए भी कपूर जलाना या कपूर के तेलको डिफ्यूज़र में प्रयोग करना फायदेमंद देखा गया है।
देसी कपूर या भीमसेनी कपूर कैसे बनता है – प्राकृतिक कपूर को देसी कपूर, भीमसेनी कपूर, जापानी कपूर के नाम से जाना जाता है जोकि है। इस कपूर को कपूर के पेड़ की पत्ती, छाल और लकड़ी से आसवन विधि द्वारा सफ़ेद रंग के क्रिस्टल के रूप में प्राप्त किया जाता है। कपूर का पेड़ मुख्यतः चीन में पाया जाता था, जहाँ से यह ताइवान, जापान, कोरिया, वियतनाम और दुनिया के बाकी देशों में पहुंचा। इस वृक्ष पर चमकदार, चिकने पत्ते पाए जाते हैं जिनको मसलने पर कपूर की खुशबु आती है। कपूर के पेड़ का बायोलॉजिकल नाम (सिनामोमम कैम्फोरा) है।
कृत्रिम कपूर – यह कपूर रासायनिक तरीके से बनाया जाता है। इस कपूर का फार्मूला C10H16O है। नकली कपूर पानी में अघुलनशील और अल्कोहल में घुलनशील होता है। ये कपूर तारपीन के तेल को बहुत सी केमिकल प्रक्रियाएं करने के बाद प्राप्त होता है।
केमिकल कपूर बहुत से कारखानों में प्रयोग किया जाता है। यह पालीविनायल क्लोराइड, सेलूलोस नाइट्रेट, पेंट, धुवां-रहित बारूद और कुछ खास प्रकार के प्लास्टिक, कफ-सीरप आदि के उत्पादन में प्रयोग किया जाता है।