अपराजिता लता वाला पौधा है। इसके आकर्षक फूलों के कारण इसे लान की सजावट के तौर पर भी लगाया जाता है। ये इकहरे फूलों वाली बेल भी होती है और दुहरे फूलों वाली भी। फूल भी दो तरह के होते हैं - नीले और सफेद।यह घर की बाउन्ड्री, छत, बालकनी, बाड़ पर चढ़ाने के लिए अच्छी बेल (Ornamental plant) है। यह मुख्यतः अफ्रीका और साउथ एशिया में पाया जाता है लेकिन भारत सहित पूरी दुनिया भर में उगाया जाता है। भारत व दुनिया के कुछ भागों में इसकी कच्ची फली खाई जाती है। अपराजिता बेल पशुओं के चारे के लिए भी बोई जाती है क्योंकि ये प्रोटीन से भरपूर होती है व इसे उगाने में कम मेहनत भी लगती है।
बंगाल या पानी वाले इलाकों में अपराजिता एक बेल की शक्ल में पायी जाती है। इसका पत्ता आगे से चौडा और पीछे से सिकुडा रहता है। इसके अन्दर आने वाले स्त्री की योनि की तरह से होते है इसलिये इसे ’भगपुष्पी’ और ’योनिपुष्पी’ का नाम दिया गया है।
इसका उपयोग काली पूजा और नवदुर्गा पूजा में विशेषरूप में किया जाता है। जहां काली का स्थान बनाया जाता है वहां पर इसकी बेल को जरूर लगाया जाता है। गर्मी के कुछ समय के अलावा हर समय इसकी बेल फूलों से सुसज्जित रहती है।अपराजिता की बेल देखने में सुंदर लगती है और इसके कई आयुर्वेदिक फायदे भी हैं। घर में अपराजिता लगाने से निगेटिविटी दूर होती है। अपराजिता के फूल माँ दुर्गा, शनिदेव, विष्णु भगवान की पूजा में प्रयोग किये जाते हैं। सफेद अपरजिता का फूल भगवान शिव को चढ़ाया जाता है। इस पोस्ट में अपराजिता का पौधा लगाने की दिशा, तरीका और केयर करने का तरीका जानेंगे।