एक नयी स्टडी में पता चला है कि फुल क्रीम दूध असल में हृदय के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है. देश जोकि दुनिया भर में का दिग्गज है, वहां की यूनिवर्सिटी ऑफ़ कोपेनहेगन के रिसचर्स ने यह निष्कर्ष निकाला है.India में हमेशा से ही दूध और दूध से बने पदार्थों घी, दही, मक्खन, खोवा आदि के सेवन पर जोर दिया गया है. पिछले 20-30 सालों से ऐसी नयी सोच पैदा हो गयी है कि दूध से बने कुछ पदार्थ स्वास्थ्य के लिए हानिकरक हैं. इस सोच का मुख्य कारण है, पश्चिमी देशों के वैज्ञानिकों के कुछ प्रयोग और निष्कर्ष जिसे Doctors और जनता ने अपना लिया। इसका असर ये हुआ कि लोगों ने से कन्नी काट ली और बिना क्रीम वाला टोंड दूध पीने लगे हैं।
देशी घी से मोटापा और ह्रदय की बीमारी होती है, ये सोचकर लोग देशी घी से दो फीट दूर ही रहते हैं। लेकिन आपको ये जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि विगत 1-2 वर्षों में दुनिया भर में हुई कुछ नयी रिसर्च ने इन सभी मान्यताओं और स्वास्थ्य नियमों को सिरे से ख़ारिज कर दिया है.– वर्षों से ऐसी मान्यता थी कि फुल क्रीम दूध शरीर में कोलेस्ट्रॉल को बढ़ावा देता है जोकि हानिकारक है और लो-फैट दूध या स्किम्ड दूध ही health के लिए बढ़िया होता है.यूनिवर्सिटी ऑफ़ कोपेनहेगन के वैज्ञानिकों के अनुसार नए एक्सपेरिमेंट बताते हैं कि दूध पीने और हृदय की बिमारियों का -कोई सम्बन्ध ही नहीं है. क्रीम वाला दूध शरीर में नामक अच्छे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है जोकि शरीर के लिए आवश्यक है.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ कोपेनहेगन के इन्ही वैज्ञानिकों ने 2016 में चीज़ यानि पनीर के सम्बन्ध में भी एक प्रचलित भ्रान्ति को गलत बताया था. लोगों का यह मानना था कि Low-fat Cheese खाने से कोलेस्ट्रॉल घटता है, ब्लड प्रेशर सही रहता है और मोटापा भी नहीं होता. वैज्ञानिकों ने इन सब बातों को सिरे से नकार दिया और लो-फैट चीज़ के इन फायदों को गलत बताया.भारत की संस्कृति, धर्म, खान-पान और जीवन में दूध सदियों से शामिल रहा है. भारतीय माता-पिता, दादा -दादी हमेशा से ही बच्चों को दूध पीने के फायदे गिनाकर दूध पिलाते रहे हैं. भले ही कुछ समय के लिए Milk से सम्बन्धित भ्रांतियाँ प्रचलित हो गयी थीं, लेकिन अब इन नयी खोजों से इनका निराकरण हो रहा है. हमारे पूर्वजों का विज्ञान आज भी आधुनिक विज्ञान पर भारी है.