गुलमेंहदी जिसे अंग्रेजी में रोज़मेरी कहा जाता है एक सुगन्धित जड़ी-बूटीक पौधा है, भारत में इसकी खेती हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर जैसे ठंडे जलवायु वाले जगहों में की जा रही है। यह पुदीना परिवार लैमियेसी की सदस्य है और इसके पत्ते सुई के आकार के, ऊपर से हरे और नीचे से रोमिल सफेद होते हैं। इसके फूल बैंगनी, गुलाबी, नीला या सफेद रंग के होते है और यह सर्दी या वसंत ऋतु में खिलते हैं।गुलमेंहदी का उपयोग इसमें अद्भुत स्वाद और सुगंध होती है और यह स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभकारी होती है। गुलमेंहदी का इस्तेमाल सूप, स्टॉज, रोस्ट्स और स्टफिंग और सॉस आदि चीज़ों में फ्लेवर देने के लिए, माउथ फ्रेशनर के रूप में और चिकित्सीय सहायता के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
गुलमेंहदी के लाभ
गुलमेंहदी में कई तरह के एंटीएजिंग, एंटीऑक्सीडेंट आदि तत्व होते हैं। यह त्वचा के लिए, शरीर की सूजन दूर करने के लिए, शरीर की इम्यूनिटी मजबूत करने के लिए, शरीर को डिटॉक्सीफाई करने के लिए और इन्फैक्शन से बचाने में मदद करता है। इसके साथ ही इसकी सुगंध और स्वाद के कारण यह मन और दिमाग शांत कर तनाव को दूर करने में और सांसो की बदबू को दूर करने के लिए काम करता है।खेती के लिए अनुकूल जलवायुगुलमेंहदी की खेती के लिए शीतोष्ण जलवायु जहाँ पुरे साल ठण्डा मौसम रहता है तथा पाला युक्त हो उपयुक्त है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर जैसे पहाड़ी क्षेत्रों का वातावरण गुलमेंहदी खेती के लिए अनुकूल समझा जाता है। बुवाई के समय का तापमान 14°-15° सेल्सीयस उपयुक्त होता है।
खेत की तैयारी
खेत तैयार करने के लिए सबसे पहले खेत की अच्छे से जुताई कर उसमें सन्तुलित खाद डालकर समतल कर लेना चाहिये। इसके साथ ही खेत में जल निकासी प्रबंध भी कर दे जिससे खेत में पानी जमा ना हो। खाद के रूप में आप गोबर का इस्तेमाल कर सकते हैं।खेत की तैयारीखेत तैयार करने के लिए सबसे पहले खेत की अच्छे से जुताई कर उसमें सन्तुलित खाद डालकर समतल कर लेना चाहिये। इसके साथ ही खेत में जल निकासी प्रबंध भी कर दे जिससे खेत में पानी जमा ना हो। खाद के रूप में आप गोबर का इस्तेमाल कर सकते हैं।पौधरोपण का तरीकागुलमेंहदी की खेती के लिए अच्छे स्वस्थ्य बीजों का इस्तेमाल करे जिसपे फसल को किसी भी प्रकार से कोई हानि ना हो। पौधों को पहले नर्सरी में बीज द्वारा तैयार कर ले। इसके बाद जब पौधे खेत में रोपने लायक हो जाये तो उसे 45 x 45 सेमी. दूरी पर रोपना चाहिए। पौधे को नर्सरी में तैयार करने के लिए मिट्टी में जरूरी खाद मिला क फिर बीज को रोप।सिंचाई प्रबंधनइसकी पहली सिंचाई पौध रोपने के तुरंत बाद शुरूआती समय में 2-3 बार करते रहे। उसके बाद की सिचाई मौसम के अननुसार करनी चाहिए।