दुनिया के लगभग हर हिस्से में गेहूं की खेती की जाती है। गेहूं मुख्यतः ठंडी और शुष्क जलवायु है; इसलिए 18 से 22 डिग्री सेल्सियस तापमान के दौरान, फसल के दौरान इष्टतम तापमान 24 डिग्री और सेल्सियस और पकने के दौरान तापमान 10 से 16 डिग्री सेल्सियस होता है। तापमान अधिक होने पर फसल जल्दी पक जाती है। इसकी खेती के लिए 60-100 सेमी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र उपयुक्त हैं। पौधों की वृद्धि के लिए वातावरण में 50-60% आर्द्रता उपयुक्त पाई गई है। कड़ाके की सर्दी और गर्म ग्रीष्मकाल को गेहूं की बेहतर फसलों के लिए उपयुक्त माना जाता है।
गेहूँ सभी प्रकार की खेती योग्य भूमि में उगाया जा सकता है, लेकिन गेहूँ की खेती बलुई मिट्टी, दोमट मिट्टी से सफलतापूर्वक की जाती है। जल निकासी सुविधा के कारण, इसकी अच्छी फसल को मटियार दोमट और काली मिट्टी में प्राप्त किया जा सकता है। अच्छे अंकुरण के लिए बेहतर सूखी मिट्टी की आवश्यकता होती है। खेत में नमी संरक्षण के लिए समय पर जुताई भी आवश्यक है। दरअसल, खेत की तैयारी करते समय हमारा लक्ष्य यही होना चाहिए। उन्नत किस्मों के बीजों के लिए फसल उत्पादन एक महत्वपूर्ण स्थान है। गेहूं की किस्मों का चयन जलवायु, रोपण समय और क्षेत्र के आधार पर किया जाना चाहिए।
बौने गेंहू की बोआई में गहराई का विशेष महत्व होता है, क्योंकि बौनी किस्मों में प्राकुंरचोल की लम्बाई 3 - 5 से.मी. होती है। अतः यदि इन्हे गहरा बो दिया जाता है तो अंकुरण बहुत कम होता है। इसका प्रयोग उन स्थानों पर किया जाता है जहाँ बुआई अधिक रकबे में की जाती है तथा खेत में पर्याप्त नमी रहती हो । इस विधि मे देशी हल के पीछे बनी कूड़ो में जब एक व्यक्ति खाद और बीज मिलाकर हाथ से बोता चलता है
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