होली आने वाली है और इन दिनों पलाश (Palash) के फूलों की बहार है. एक जमाने में इसे होली (Holi Festival) के रंग (Colour) बनाने में प्रयोग किया जाता था. लाल रंग के इस खूबसूरत फूल को लोग होली के कई दिनों पहले से ही पानी में भिगो कर रख देते थे और फिर उबालकर इससे रंग बनाते थे. इस रंग से होली खेली जाती थी और इसकी खुश्बू से सारा वातावरण महक उठता था. आज भी इसे मथुरा, वंदावन और शांति निकेतन आदि जगहों पर होली में प्रयोग किया जाता है. पलाश को कई जगहों पर टेसू के नाम से भी जाना जाता है.
पलाश के फूल में कई औषधीय गुण (Medicinal Benefits) भी होते हैं. पलाश के पेड़ के फूल, बीज और जड़ों की औषधियां बनाई जाती हैं और पौराणिक काल से ही आयुर्वेद (Ayurveda) में इसका प्रयोग किया जाता रहा है. आइए जानते हैं कि आयुर्वेद में पलाश का किस तरह उपयोग किया जाता हैपेट की समस्या में
पलाश के फूल में एसट्रिनजेंट गुण पाया जाता है जो पेट की समस्या में आराम पहुंचाता है. इसका प्रयोग पेचिश और दस्त जैसी समस्याओं को ठीक करने के लिए भी किया जाता है. अगर आप इसका रोज सेवन करें तो हर तरह की पेट की समस्या दूर हो सकती है.